Coronavirus: दूसरी लहर का कहर, सिर्फ एक राज्य में 40000 से ज्यादा बच्चे संक्रमित, सरकार की बढ़ी चिंता

Coronavirus: डॉक्टर श्रीनिवास के मुताबिक बच्चे बड़ों के संपर्क में सबसे ज्यादा आते हैं और यही कारण है कि यह वायरस बच्चों में भी इस बार काफी तेजी से फैल रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-05-22 08:34 IST

मास्क पहने महिला -बच्चा (फोटो: सोशल मीडिया)

Coronavirus: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश के लगभग सभी राज्यों में कहर बरपा रखा है। दूसरी लहर (Second Wave) के कारण हालात इतने बिगड़ गए कि कई राज्यों में संक्रमित मरीजों की संख्या के सारे रिकॉर्ड टूट गए। कई दिनों तक मरीजों की संख्या चार लाख (Corona Cases) से ऊपर दर्ज की गई। हालांकि अब दूसरी लहर का कहर कमजोर पड़ा है मगर इस दौरान बच्चों के संक्रमण की घटनाओं ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों में बड़ी संख्या में बच्चे भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। कर्नाटक के हालात तो सचमुच चिंता में डालने वाले हैं क्योंकि यहां पिछले दो महीने के दौरान 40,000 से ज्यादा बच्चे कोरोना के शिकार हुए हैं। इन सभी बच्चों की उम्र 9 साल से भी कम है।

बच्चों में संक्रमण की रफ्तार हुई दोगुनी

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक में 18 मार्च से 18 मई के बीच 0-9 आयु वर्ग के 39,846 बच्चे पॉजिटिव पाए गए हैं। इस दौरान यदि 10 से 19 आयु वर्ग का आंकड़ा देखा जाए तो 105044 बच्चे और किशोर कोरोना का शिकार हो चुके हैं।


पिछले साल कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद से 18 मार्च तक दोनों आयु वर्ग के क्रमशः 17,841 और 65,551 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए। यदि पिछले दो महीने के आंकड़े की पुराने आंकड़े से तुलना की जाए तो दूसरी लहर के दौरान बच्चों के संक्रमित होने की रफ्तार करीब दोगुनी हो गई है।

नजदीकी संपर्क से बढ़ा संक्रमण

यदि इस जानलेवा वायरस से मरने वाले बच्चों की संख्या पर गौर फरमाया जाए पिछले साल से इस साल 18 मार्च तक 28 बच्चों की मौत हुई जबकि उसके बाद 18 मई तक 15 और बच्चे वायरस के क्रूर हाथों अपनी जान से हाथ धो बैठे। इस बाबत डॉक्टर श्रीनिवास कासी का कहना है कि इस बार परिवार के किसी भी सदस्य के पॉजिटिव होने पर उसका असर परिवार के अन्य सदस्यों पर भी पड़ रहा है और वे भी जल्द ही कोरोना वायरस से संक्रमित हो जा रहे हैं।

कई मामलों में तो बच्चों के संक्रमित होने का कारण यह है कि वे मरीजों के नजदीकी संपर्क में आ जा रहे हैं। ज्यादातर मामलों में यह भी देखा जा रहा है कि परिवार में किसी और के संक्रमित होने पर बच्चे ही सबसे पहला शिकार बन रहे हैं।

बच्चों पर दिख रहा सीधा असर

डॉक्टर श्रीनिवास के मुताबिक बच्चे बड़ों के संपर्क में सबसे ज्यादा आते हैं और यही कारण है कि यह वायरस बच्चों में भी इस बार काफी तेजी से फैल रहा है। उनका कहना है कि दूसरी लहर के दौरान कोरोना काफी तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है और यही कारण है कि परिवार में रहने वाले बच्चों पर भी इसका सीधा असर दिख रहा है।


उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों में कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उनके नजदीक रहने वाले बड़ों को भी सबसे अलग हो जाना चाहिए ताकि परिवार के दूसरे लोग संक्रमण का शिकार ना हो सके।

अधिकांश मामलों में आइसोलेशन से ही जीत

वैसे अधिकांश मामलों में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत नहीं पड़ती। बच्चों की डॉक्टर डॉ सुपराजा चंद्रशेखर का कहना है कि यदि हम बच्चों से जुड़े हुए केस देखें तो 10 में से सिर्फ एक बच्चे की हालत ही इतनी ज्यादा बिगड़ती है कि उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ता है। बाकी बच्चे घर पर ही आइसोलेट होकर कोरोना पर विजय हासिल कर लेते हैं।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के संक्रमित होने पर परिवार के अन्य बड़े लोगों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। बच्चों की सही देखभाल से ही इस जंग में विजय हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों में लक्षण दिखाई देने पर उनका तुरंत टेस्ट करवाना जरूरी है और पॉजिटिव होने की दशा में उनका पूरा ख्याल रखने के साथ ही उन्हें तुरंत आइसोलेट करने का कदम उठाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर ही दवाएं देने पर भी जोर दिया।

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