नई दिल्ली : थायराइड मुख्य रूप से लाइफ स्टाइल बीमारी है। आप क्या खाते हैं और आपकी पूरी डाइट पर आपके थायराइड की स्थिति निर्भर करती है। इस कारण की घटता बढ़ता है। थायराइड ग्रंथि का मुख्य कार्य खाने से आयोडिन का निकालना और थायरॉक्सिन टी4 व टराइडोथायरोनिन टी3 जैसे थायरॉइड हॉर्मोन में इसे बदलना होता है। अगर शरीर में आयोडिन का असंतुलन हो तो थायराइड की बीमारी होती है। हालांकि इसे खानपान और एक्सरसाइज के जरिए नियंत्रण में रखा जा सकता है। जानते है इस बीमारी के बारे में-
हर उम्र में यह बीमारी
थायराइड की बीमारियां हर उम्र के लोगों में दिखाई दे रही हैं। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इसके बढऩे का खतरा भी बढ़ता जाता है क्योंकि इस उम्र में शरीर के अंग कमजोर होने लगते हैं। भारत में करीब 4.5 करोड़ लोग विभिन्न तरह की थायराइड की बीमारी से जूझ रहे हैं और कई लोगों को इस बीमारी के बारे में पता तक नहीं है। थायराइड से जुड़ी बीमारी के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते, जिससे एक तिहाई लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें थायरॉइड से जुड़ी कोई बीमारी है। जब स्थिति अधिक गंभीर हो जाती है तो उनको बीमारी पता चलती है।
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बच्चों में भी इसका खतरा अधिक
कम उम्र के बच्चों में थायराइड का खतरा पहले से कई गुना बढ़ गया है। इससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में शुरू से ही नियमित एक्सरसाइज और आउटडोर गेम्स की आदत डालें। दरअसल शारीरिक मेहनत नहीं करने पर बच्चे को थायराइड के अलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।
क्या है थायराइड
थायराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन टी4 और टराइडोथायरोनिन टी3 के स्त्राव में अहम भूमिका निभाता है। यह दोनों हॉर्मोन शरीर में ऑक्सिजन का स्तर बढ़ाने और नए प्रोटीन निर्माण के लिए कोशिकाओं को उत्तेजित करने का काम करता है। जब शरीर में थायराइड हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है, तब टीएसएच का निर्माण भी रुक जाता है। इससे थायराइड ज्यादा टी3 और टी4 बनाना भी रोक देता है। यह दो प्रकार का होता है हाइपर और हाइपो थायराइड।
हाइपर थायराइड
थायराइड ग्रंथि जब कम सक्रिय होती हैं तो हाइपो थायराइडिज्म और अत्यधिक सक्रिय होने पर हाइपर थायराइडिज्म की स्थिति पैदा हो जाती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है।
इसके लक्षण
थकान रहना, वजन बढऩा, बाल झडऩा, याद्दाश्त कमजोर होना, नींद न आना, कोलेस्ट्रॉल और टाइग्लिसराइड्स का बढऩा, विटामिन डी कम होना, डिप्रेशन, जोड़ों में दर्द, हाथ पैर का ठंडा होना आदि।
हाइपो थायराइड
ऐसी स्थिति में थायराइड ग्लैंड पर्याप्त मात्रा में हॉर्मोन का निर्माण नहीं करती है। ऐसे में टी3 और टी4 का सामान्य रेंज बनाए रखने के लिए थायरॉइड स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन टीएसएच का स्तर बढ़ जाता है।
लक्षण
दिल की धड़कन का बढऩा, भूख बढऩा, गर्मी के प्रति संवेदनशील होना, घबराहट होना और अचानक वजन का कम होना।
नियमित एक्सरसाइज जरूरी
थायराइड के मरीजों को नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए। प्रति सप्ताह 2-3 बार कार्डियो, साइक्लिंग और स्विमिंग कर सकते हैं। सर्वांगासन खासतौर पर थायराइड के लिए लाभकारी होता है। शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखने के लिए ज्यादा मात्रा में पानी पीएं। इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और तेजी से वजन भी घटता है।
थायराइड को इस तरह रखें कंट्रोल
आयोडिन वाली डाइट लें
विटामिन बी6, विटामिन सी, मैग्नीज व अन्य तत्वों के सहयोग से टी3 और टी4 निर्माण के लिए थायराइड ग्लैंड को आयोडिन और अमीनो एसिड की जरूरत होती है। ऐसे में आयोडीन का सेवन बढ़ाना चाहिए। आयोडाइज्ड नमक के अलावा आयोडीन युक्त चीजें जैसे केला, गाजर, स्ट्रॉबेरी, दूध, दही, अनानास आदि का सेवन करना चाहिए।
हेल्दी डाइट लें
सब्जियां और फलों का सेवन करना चाहिए और हेल्दी फैट्स जैसे ओलिव ऑयल, नारियल तेल, नट बटर्स आदि खाना चाहिए।
इनको खाने से बचें
प्रॉसेस्ड फूड यानी जिनमें शुगर, डाइज, आर्टिफिशियल फ्लेवर और स्वीवटनर हो उनके सेवन से बचें। ऐसी चीजों का सीधा असर थायराइड पर पड़ता है। गोभी, पत्तागोभी जैसी क्रूसीफेरस सब्जियों को हमेशा पका कर ही खाएं। इनमें कुछ प्राकृतिक कैमिकल्स होते हैं जो थायराइड के लिए अच्छे नहीं होते। पकाने पर यह कैमिकल नष्ट होने के साथ ही इनकी पौष्टिकता बढ़ती है और एंटीऑक्सिडेंट्स भी मिलते हैं। ग्लूटेन युक्त चीजों जैसे गेहूं, जौ आदि के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। दरअसल जब हमारी रोग प्रतिरोधक तंत्र बिना कारण एंटीबॉडीज का निर्माण करती है, तब थायराइड पर प्रभाव पड़ता है। ग्लूटेन कुछ ऑटोइम्यून रिएक्शन को बढ़ाता है। इसी तरह चीनी के ज्यादा सेवन से हानिकारक पैथोजन का निर्माण होता है और असर थायराइड पर पड़ता है।