CDSCO Drug Test: ड्रग टेस्ट में 50 दवाएं फेल, इनमें अधिकांश सिरदर्द-बुखार और उल्टी में होती हैं प्रयोग

Drug Test में फेल हुई अधिकतर दवाओं का इस्तेमाल एंटीबायोटिक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, अन्य दवाएं बुखार, उल्टी, सिरदर्द और विटामिन के रूप में ली जाती हैं।

Written By :  aman
Update: 2022-11-23 11:35 GMT

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Drug Test : सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organization) यानी CDSCO ने 50 दवाओं को ड्रग स्टैंडर्ड टेस्ट (Drug Standard Test) में फेल करार दिया है। ये टेस्ट अक्टूबर में देशभर के अलग-अलग प्रयोगशालाओं में किए गए थे। 1280 दवाओं की जांच की गई, जिनमें 50 टेस्ट में असफल रहे। CDSCO के मुताबिक, ये एक रूटीन प्रक्रिया है। हर महीने दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे जाते हैं। अलग-अलग स्टैंडर्ड और गुणवत्ता को परखने के बाद ही दवाओं को अप्रूव किया जाता है।

बताया जा रहा है कि, जो दवाएं जांच में फेल हुई हैं उनमें से अधिकांश का प्रयोग एंटीबायोटिक (Antibiotic) के रूप में किया जाता है। इसके अलावा कई अन्य दवाएं हैं जिनका इस्तेमाल बुखार (Fever), उल्टी (Vomiting), सिरदर्द (Headache) और विटामिन (Vitamins) में होती है। आपको बता दें, CDSCO प्रतिवर्ष इसी तरह दवाओं की जांच करता है। बीते दिनों हुए टेस्ट में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बनी कई दवाओं को टेस्ट में फेल किया गया था। इतना ही नहीं, उन दवाओं को बाजारों से वापस लेने के भी आदेश दिए गए थे। 

इस वजह से भी फेल हो सकती हैं दवाएं?

विशेषज्ञ बताते हैं कि, एक राज्य से दूसरे राज्य की भौगोलिक स्थिति (Geographical Situation), जनसांख्यिकी (Demography) और जलवायु (Climate) जैसी स्थितियों का असर भी ड्रग टेस्ट पर पड़ता है। इसके अलावा ब्रांड मैचिंग भी एक वजह है, जिससे जांच असफल हो सकती है। बता दें, इन सैंपल्स को दवा सुरक्षा मानकों पर खरा न उतरने की वजह से फेल किया गया है।

टेस्ट में फेल दवाएं इन राज्यों में बनी थी

ड्रग टेस्ट में फेल की गई अधिकांश दवाओं का निर्माण हरियाणा, कोलकाता, बिहार, असम, गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में हुआ था। जिन 50 दवाओं को जांच में फेल किया गया है उनमें 11 दवाएं उत्तराखंड में बनी थी।

कंपनियों को कारण बताओ नोटिस

CDSCO ने जांच में जिन दवाओं को फेल पाया है, उसे बनाने वाली कंपनियों को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया गया है। उन कंपनियों को दवाओं का स्टॉक मार्केट से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, संबंधित क्षेत्रों के सहायक दवा नियंत्रकों (assistant drug controllers) को इस मामले में पूरी रिपोर्ट सौंपने को भी कहा गया है। अक्टूबर माह से पहले इसी तरह स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने जून में 26, जुलाई में 53,अगस्त में 45 और सितंबर में 59 दवाओं के सैंपल को टेस्ट में फेल किया था। 

क्या कहता है IMA ने?

दवाओं के सैंपल टेस्ट में असफल रहने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA के सचिव डॉ. अनिल गोयल ने मीडिया से कहा, कि 'भारत ही नहीं दुनिया भर में दवाओं के सैंपल इस तरह के टेस्ट में फेल होते हैं। उन्होंने कहा, अगर वैश्विक स्तर पर बात करें ये अनुपात 3 से 4 प्रतिशत के करीब है। भारत में भी तक़रीबन यही अनुपात है। अगर, ये 6 फीसदी से अधिक हो तो पैनिक की स्थिति हो सकती है।' डॉ. अनिल गोयल ने आगे ये भी कहा कि, जिन दवाओं के सैंपल टेस्ट में फेल हुए हैं उनमें कई जीवन रक्षक भी हैं। जबकि, कुछ इंजेक्शन हैं। इनमें रोजमर्रा की जरूरत की दवाइयां जैसे पेरासिटामोल भी शामिल हैं।

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