SC के आदेश के बाद भी सिम के लिए तेजी से आधार का इस्तेमाल कर रहीं टेलिकॉम कंपनियां
नई दिल्ली: कई चर्चित टेलिकॉम कंपनियां आधार का इस्तेमाल सिम जारी करते वक्त ईकेवाईसी के रूप में कर रही हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में मनाही हो चुकी है। इसके अलावा कई टेलिकॉम कंपनियां ईकेवाईसी या आधार के बायोमीट्रिक की सुविधा का इस्तेमाल भी तेजी से कर रही हैं। पेपरवर्क करने में समय बर्बाद न हो, इसके लिए ये सब किया जा रहा है। साथ ही, इस प्रोसेस से उपभोक्ताओं को भी आसानी से सिम मिल जाता है।
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इस मामले में टेलिकॉम कंपनियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ने ही ईकेवाईसी आधार के लिए मना किया है जबकि अभी तक डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) ने इसपर कोई निर्देश नहीं जारी किए हैं। अभी तक सरकार ने भी इसपर प्रतिबंध नहीं लगाया है। ऐसी स्थिति में टेलिकॉम कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि वो तब तक ईकेवाईसी आधार का इस्तेमाल करेंगे जब तक सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा।
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वहीं, एक जानीमानी कंपनी के अधिकारी का इस मामले में कहना है कि जब तक डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम के निर्देश जारी नहीं होते तब तक वह इस सुविधा का इस्तेमाल करते रहेंगे, जबकि यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से टेलिकॉम कंपनियां अलग हो सकती हैं।
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दरअसल, कंपनियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उन्होंने इस मामले को लेकर डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) को आगाह किया था। अब ऐसी स्थिति में खुद डिपार्टमेंट और टेलिकॉम को इससे निपटना पड़ेगा। बता दें, यूआईडीएआई ने 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चिन्हित करते हुए सभी टेलिकॉम कंपनियों को लिखित जानकारी दी थी कि मोबाइल कनेक्शन लेने या मोबाइल वेरिफाई करने के लिए अब आधार सेवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
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यही नहीं, ऑपरेटर्स को 15 अक्टूबर तक प्लान उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया था, जिससे आधार से होने वाले प्रमाणीकरण को रोका जाए। यूआईडीएआई ने ये भी कहा था कि अगर नियत समय तक कोई जानकारी यूआईडीएआई को नहीं मिलती है तो ऐसी स्थिति में बिना किसी नोटिस के प्रमाणीकरण सेवाओं को समाप्त कर दिया जाएगा।
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बता दें, सुप्रीम कोर्ट का आदेश 26 सितंबर को आया था। मगर कोर्ट के इस फैसले से टेलिकॉम इंडस्ट्री काफी निराश हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि टेलिकॉम इंडस्ट्री का कहना है कि उपभोक्ताओं के सत्यापन के लिए ईकेवाईसी एक आसान और तेज माध्यम है, जबकि पेपर आधारित प्रमाणीकरण के वक्त पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी जैसी चीजों की आवश्यकता होती है। इस प्रोसेस में ज्यादा वक्त लग जाता है।