मध्य प्रदेश : चुनाव लड़ रहे विधायकों की संपत्ति में 12 हजार प्रतिशत तक इजाफा

मध्यप्रदेश एलेक्शन वॉच (एमपीईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दोबारा चुनाव लड़ रहे निवर्तमान विधायकों की संपत्ति पर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार 2008 में इन विधायकों की कुल घोषित औसत संपत्ति जहां 1 करोड़ थी,  अब बढ़कर 5 करोड़ हो गई है।

Update:2018-11-25 22:53 IST

भोपाल : मध्यप्रदेश एलेक्शन वॉच (एमपीईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दोबारा चुनाव लड़ रहे निवर्तमान विधायकों की संपत्ति पर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार 2008 में इन विधायकों की कुल घोषित औसत संपत्ति जहां 1 करोड़ थी, अब बढ़कर 5 करोड़ हो गई है। कई विधायकों की संपत्ति 200 प्रतिशत से लेकर 12000 प्रतिशत तक बढ़ी है। ऐसा भी नहीं है कि सभी की संपत्ति बढ़ी है, भाजपा के 4 विधायकों की संपत्ति घट भी गई है।

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एडीआर ने 141 वर्तमान विधायकों की संपत्ति का विश्लेषण किया है, जो 2013 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2008 के चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी मैदान में उतारे गए इन 141 विधायकों की औसत आय 1.70 करोड़ रुपए थी। और 2013 में फिर से चुनाव लड़ रहे इन 141 विधायकों की औसत संपत्ति 5.81 करोड़ रुपए हो गई है।

2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों के बीच इन 141 विधायकों की संपत्ति में 4.11 करोड़ रुपए की औसत बढ़त दर्ज की गई। इसी अवधि में इन 141 विधायकों की संपत्ति में औसतन 242 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार दलगत आधार पर औसत में जहाँ बीजेपी के विधायकों की संपत्ति में 253 प्रतिशत, कांग्रेस के विधायकों की संपत्ति में 235 प्रतिशत का इजाफा हुआ है वहीं बसपा के विधायकों की संपत्ति में 270 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है|

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एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी संजय पाठक ने सर्वाधिक 87.15 करोड़ रुपए की वृद्धि की घोषणा की है। इनकी संपत्ति 2008 में 34.17 करोड़ से बढ़कर 2013 में 121.32 करोड़ रुपए हो गई है। इसी तरह पिछौर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह कक्काजू की संपत्ति में 49.23 करोड़ रुपए की बढ़त हुई है और इनकी संपत्ति 2008 में 11.48 से बढ़कर 2013 में 60.72 करोड़ रुपए हो गई है। देपालपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण पटेल की संपत्ति भी 2008 में 30.01 करोड़ रुपए से 40.95 करोड़ रुपए बढ़कर 2013 में 70.96 करोड़ रुपए हो गई है।

मजेदार यह है कि भाजपा के चार प्रत्याशियों ने 2008 की तुलना में 2013 के चुनाव में अपनी संपत्ति के घटने की घोषणा की है। इनमे सबसे ज्यादा 49 प्रतिशत कमी आई है। अटेर विधानसभा क्षेत्र के अरविंद भदोरिया ने अपनी संपत्ति में 2008 में 1.45 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 74.26 लाख रुपए होने की घोषणा की है।

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इनके बाद हैं हाटपिपलिया विधानसभा क्षेत्र के दीपक जोशी जिनकी घोषित संपत्ति में 10 प्रतिशत की कमी आई है। इनकी संपत्ति 2008 में 40.94 लाख रुपए से घटकर 2013 में 36.82 लाख रुपए हो गई है। खरगोन विधानसभा क्षेत्र के बालकृष्ण पाटीदार ने अपनी संपत्ति में 9 प्रतिशत की कमी दिखाई है। इनकी संपत्ति 2008 के चुनाव के मुकाबले 3.84 करोड़ रुपए से घटकर 2013 में 3.51 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि चित्रांग विधानसभा क्षेत्र के जगन्नाथसिंह की संपत्ति में 8 प्रतिशत की कमी आई है। इनकी संपत्ति 2008 चुनाव में 68.12 लाख रुपए से घटकर 2013 में 62.56 लाख रुपए हो गई है।

एडीआर की सिफारिश है कि चुनाव आयोग को चाहिए वह शपथ पत्रों की अनिवार्य रूप से और सूक्ष्म तरीके से जांच करे। हमारे अनुभव ऐसे आ रहे हैं कि प्रत्याशियों द्वारा अपने शपथ पत्र भरने में गंभीरता नहीं दिखाई गई है, जिसके कारण उनके द्वारा दर्ज जानकारियों को विश्वसनीय नहीं माना जा पा रहा है। जैसे प्रत्याशियों द्वारा पैन कार्ड की जानकारी न देना और अपनी आयकर विवरणिका की जानकारी न देना, लेकिन अभी तक आयोग द्वारा इस पर आपत्ति दर्ज न कराना समझ से परे हैं। ऐसे में जरूरी है कि चुनाव आयोग सभी शपथ पत्रों का गंभीरता से विश्लेषण करे और प्रत्याशियों को जवाबदेह भी बनाए। इन विश्लेषणों से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रत्याशियों द्वारा बहुत-सी जानकारियां गलत ढंग से भरी हैं और आधी-अधूरी भरी हैं। चुनाव आयोग इनका भी संज्ञान ले।

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एडीआर मानता है कि शपथ पत्रों की जांच का काम बेहद जटिल है पर यह मतदाताओं के लिए जरूरी है कि उनके पास सूचित विकल्प हों और इसलिए यह भी जरूरी है कि चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्रों की तत्काल जांच हो और वह जानकारी जनता के समक्ष लाई जाए।

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