जयललिता का दुर्भाग्य- जिसे घर से निकाला था, शशिकला उसे घर ले आई

Update: 2016-12-09 22:48 GMT

नई दिल्ली : इसे जयललिता का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जिन लोगों को उन्होंने जीते जी पार्टी और अपने घर से दूर रखा अब वो न सिर्फ उनके घर में रह रहे हैं, बल्कि पार्टी पर भी कब्ज़ा करने की जुगत भिड़ा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं शशिकला उनके पति एम नटराजन और उनके परिवार वालों की। संकेत साफ़ है, अम्मा के बाद अन्नाद्रमुक अब इस परिवार की कठपुतली होगी।

जयललिता ने नवंबर 2011 में शशिकला और उनके 12 रिश्तेदारों को पार्टी से निकाल बाहर किया था। लगभग 100 दिन बाद शशिकला ने माफ़ी मांगी और पति से अलग जया के घर में रहने लगी। जब की 1996 में जयललिता ने नटराजन को अपने पोएस गार्डेन निवास से बाहर कर दिया था। साथ-साथ रहते विश्वास बहाली हुई जो उनके अंतिम समय तक नजर आई। लेकिन अब जबकि जयललिता इस दुनिया में नहीं हैं, तब न सिर्फ नटराजन बल्कि उनका पूरा कुनबा जिसे 'मन्नारगुडी के माफिया' कहा जाता है अपनी पत्नी के सलाहकार बन उसी घर में रह रहे हैं, जिससे उन्हें निकाल बाहर किया गया था। 6 दिंसबर को चेन्नई के राजाजी हाल में जब अम्मा का शव सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा गया तो शशिकला और उनके परिवार के 18 सदस्य उनके शव के चारों तरफ खड़े दिखे। ये सभी वो लोग थे जिन्हें अम्मा ने अपने जीते जी अपने पास फटकने भी नहीं दिया था।

पार्टी से निकाले जाने के लगभग 40 दिनों बाद नटराजन जमीन घोटाले में गिरफ्तार हुए थे। इसके बाद वो काफी समय तक सार्वजनिक जीवन से अलग रहे, लेकिन जिस तरह उन्होंने वापसी की वो पार्टी में चर्चाओं का विषय बन गया है।

कहा जाता है कि 1991 में जयललिता जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं, नटराजन पति पत्नी ने न सिर्फ स्वयं बल्कि अपने परिजनों को भी मोटा पैसा कमाने की छूट दे दी थी। इसके बाद 2011 में खबर आई की इन दोनों ने जया को जहर देने की कोशिश की ताकि सत्ता पर अपना कब्ज़ा जमा सकें।

नटराजन बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव सहित कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के करीबी हैं। शशिकला अब उन्हें दिल्ली की राजनीति में स्थापित करना चाहती हैं।

अब देखने वाली बात ये होगी कि ये पति पत्नी अपने मंसूबों में कितना कामयाब होते हैं।

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