दीपांकर जैन
नोएडा : नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी नोएडा एक बार फिर सुर्खियों में आने की तैयारी कर रहा है। जमीन के सहारे आसमान तक पहुंचे इस शहर के अफसरों ने जमकर लापरवाही बरती जिसकी वजह से एक और दाग नोएडा के दामन पर लगने वाला है। जमीन के सहारे आसमान का सफर करने वालों को अपनी ही जमीनों के बारे में जानकारी नहीं है। प्राधिकरण को अधिग्रहित जमीन की वर्तमान स्थिति के बारे में भी नहीं पता है। ऐसे में अरबों रुपये की जमीन पर घोटाले की सुगबुगाहट तेज हुई है। इस संबंध में केंद्रीय एजेंसी सीएजी ने इसका विवरण मांगा तो अफसर आनाकानी करने लगे। मामला शासन तक पहुंच गया और सीएजी के पत्र पर प्रदेश सरकार ने प्राधिकरण पर डंडा चलाने का काम किया है।
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नोएडा प्राधिकरण ने 1976 में स्?थापना के बाद शहर में जमीनों को अधिग्रहित किया और इंडट्रियल क्षेत्र विकसित करने का काम शुरू हुआ। शुरुआती दौर में हरौला, झुंडपुरा, चौड़ा, रघुनाथपुर जैसे गांवों का अधिग्रहण किया गया। कुछ क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां और कुछ क्षेत्रों में आवासीय क्षेत्र बनाए गए। समय गुजरने के साथ नोएडा ने अपनी पहचान बनाई और यहां की जमीनों की मांग बढ़ी। प्रदेश सरकारों ने नोएडा को अपने हिसाब से चलाया और अलग-अलग क्षेत्रों का विकसित करने के लिए अधिग्रहण हुआ। इन सबके बीच प्राधिकरण ऐसी खुमारी में खो गया कि सरकारी जमीन पर दूसरे कब्जा करते रहे और अफसर आंख बंद करके बैठे रहे। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि सीएजी ने नोएडा से अधिग्रहित और अधिसूचित जमीनों की जानकारी मांगी तो प्राधिकरण ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद सीएजी ने लखनऊ शासन को इसकी जानकारी दी। शासन ने प्राधिकरण को पत्र लिखकर जमीन से जुड़ी सारी जानकारियां मांगी है।
समस्या यह है कि नोएडा के पास अधिग्रहित जमीन और अधिसूचित जमीनों से संबंधित पूरा डाटा नहीं है। ऐसे में नोएडा के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को एक-दूसरों पर डालने का काम कर रहे हैं। प्राधिकरण के ओएसडी राजेश कुमार सिंह का कहना है कि सीएजी को अधिग्रहित और सूचित जमीन की जानकारी दी गई है, लेकिन कितने कब्जे शहर में है इसकी जानकारी नोएडा के पास नहीं है।
यहां हुए है कब्जे
बिशनपुरा, रसूलपुरनवादा, छिजारसी, बरौला, सर्फाबाद, सोरखा, गढ़ी, गढ़ी चौखंडी, बसई, होशियारपुर, गिझौड़, छलेरा, वाजिदपुर, नंगला वाजिदपुर, नंगली-नंगला, बख्तावरपुर, सलारपुर, भंगेल, अगाहपुर, डीएससी रोड पर बसे औद्योगिक क्षेत्र, फेस-टू से सटे हुए गांव और एक्सप्रेस-वे के किनारे बसे गांवों में अधिसूचित जमीनों पर कब्जे हुए हैं।
कोट
सीएजी को 2005 से अभी तक ऑडिट करना था जिसके संबंध में रिकार्ड उपलब्ध करवा दिए गए हैं। इसी बीच उन्होंने 1976 से जानकारी मांग ली है। ऐसे में सारे रिकार्ड तैयार करने में समय लग रहा है। सीएजी ने जो भी जानकारियां मांगी है उन्हें निश्चिततौर पर उपलब्ध करवाई जाएंगी।
आलोक टंडन,
चेयरमैन और मुख्य कार्यपालक अधिकारी
नोएडा प्राधिकरण