रायपुर। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छत्तीसगढ़ में पूरी ताकत झोंक रखी है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद केन्द्र व राज्य सरकार में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है। इसी तनातनी का नतीजा है कि राज्य में अब दाल-भात की थाली चुनावी मुद्दा बन गई है। केंद्र सरकार ने दस रुपये में मिलने वाले दाल-भात सेंटर के लिए चावल देने से मना कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस सरकार ने सभी दालभात सेंटर को बंद करने का फैसला ले लिया। इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य का आपसी टकराव अब लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार से काफी खफा हैं। उन्होंने ट्वीट करके मोदी सरकार पर निशाना साधा है। भूपेश ने ट्वीट किया कि 2014 में मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही छत्तीसगढ़ के किसानों का धान का बोनस रोक दिया। अब मोदी सरकार ने दाल-भात सेंटर को खाद्यान्न देने से मना कर दिया। बघेल ने कहा कि मोदी गलतफहमी में न रहें। छत्तीसगढ़ के लोग भोले जरूर होतें मगर कमजोर नहीं। पीएम मोदी की मानसिकता छत्तीसगढ़ विरोधी है और आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की जनता भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देगी।
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रमन बोले-प्रदेश की आर्थिक स्थिति बदहाल
मुख्यमंत्री बघेल के ट्वीट के बाद भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने उन्हें जवाब दिया है। डॉ.रमन ने कहा कि दाल-भात सेंटर गरीबों के लिए शुरू किया गया था। इसे बंद करके सरकार ने साबित कर दिया कि उनका आर्थिक प्रबंधन कमजोर है। केंद्र सरकार ने सिर्फ चावल देने से मना किया है। प्रदेश में भाजपा सरकार के समय से ही एक रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल दिया जा रहा है। पूर्व सीएम ने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार चावल का इंतजाम नहीं कर सकती है। इससे पता चलता है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी बदहाल है। प्रदेश के लोग कांग्रेस की सच्चाई जान गए हैं। यह पार्टी सिर्फ वोट पाने के लिए बड़े-बड़े वादे करती है। हकीकत यह है कि प्रदेश आर्थिक अराजकता की स्थिति में है। सिर से पैर तक कर्ज में डूबने वाली सरकार की स्थिति लोकसभा चुनाव के बाद क्या होती है, यह देखने वाला होगा।
शासकीय सेंटरों को ही मिलेगा खाद्यान्न
छत्तीसगढ़ में 127 दाल भात सेंटर का संचालन किया जा रहा था। यह सभी सेंटर गैर सरकारी संगठन और स्वयंसेवी संगठन की ओर से चलाए जा रहे थे। केंद्र सरकार ने चावल का आवंटन इसलिए रोक दिया क्योंकि इन सेंटरों का संचालन सरकार की ओर से नहीं किया जा रहा था। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति संचालक ने एक पत्र जारी करके सभी जिलों के दाल-भात सेंटर को अप्रैल से राशन नहीं देने का निर्देश दिया है। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से शासकीय या शासकीय स्वामित्व वाले सेंटर को ही खाद्यान्न का आवंटन किया जाएगा।
सेंटर बंद होने से गरीबों को झटका
राज्य में अधिकांश दाल-भात सेंटर अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के पास खोले गए हैं। राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा के सामने रोजाना दो से ढाई हजार लोग दाल-भात सेंटर में भोजन करते हैं। इसलिए यह तय है कि सरकार की ओर से इन सेंटरों को बंद करने के फरमान का सीधा असर गरीबों के निवाले पर पडऩे वाला है। अब गरीब लोगों को दाल-भात सेंटर का विकल्प खोजना होगा। जानकारों का कहना है कि अन्नपूर्णा दाल-भात सेंटर योजना गरीबों के लिए काफी महत्तवपूर्ण थी। यह गरीबों के लिए भोजन का आसरा था। कई लोगों ने मांग की है कि सरकार इसके लिए बजट का प्रावधान करे। इसे बंद करने का फैसला गरीबों के हितों के खिलाफ है। अगर सरकार गरीबों की हमदर्द है तो उसे ऐसे सेंटर बंद नहीं करने चाहिए। बहरहाल इस मुद्दे को लेकर भाजपा व कांग्रेस आमने-सामने हैं और दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप के तीर चल रहे हैं।