'नोट पर चर्चा' का देशव्यापी अभियान चलाएगी कांग्रेस, संसद सत्र के बाद बड़ी मुहिम में जुटे राहुल
नोटबंदी पर संसद के भीतर मोदी सरकार की घेराबंदी के बाद अब संसद के बाहर देशव्यापी अभियान चलाने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। राहुल गांधी से चर्चा के बाद पार्टी ने तय किया है कि देश में आम लोगों को एक बुकलेट के जरिए यह समझाया जाएगा कि किस तरह पीएम मोदी ने तेजी से गतिमान भारत की अर्थव्यवस्था के पहिए को नोटबंदी की सनक से पंचर कर दिया है।
नई दिल्ली: नोटबंदी पर संसद के भीतर मोदी सरकार की घेराबंदी के बाद अब संसद के बाहर देशव्यापी अभियान चलाने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। राहुल गांधी से चर्चा के बाद पार्टी ने तय किया है कि देश में आम लोगों को एक बुकलेट के जरिए यह समझाया जाएगा कि किस तरह पीएम मोदी ने तेजी से गतिमान भारत की अर्थव्यवस्था के पहिए को नोटबंदी की सनक से पंचर कर दिया है।
टीम राहुल के करीबी सूत्रों के अनुसार, करीब 50 पेज की यह बुकलेट देश भर में कांग्रेस की सभी जिला व ब्लॉक ईकाइयों को भेजी जा रही है। 'नोट पर चर्चा' नाम से इस पुस्तिका के जरिए कांग्रेस कार्यकर्ता जिलों, मंडलों और राज्यों की राजधानियों में लोगों से रूबरू होकर उन्हें अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के झटके और इसके पीछे पीएम मोदी के गलत कदम के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे।
इस देशव्यापी मुहिम में पार्टी सांसदों, प्रवक्ताओं, पूर्व मंत्रियों और राज्यों के प्रमुख नेताओं को शामिल किया जाएगा। इस बुकलेट में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का लेख भी हिंदी और बाकी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होगा।
बता दें कि मनमोहन सिंह ने पिछले दिनों राज्यसभा में अपने भाषण में नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक घातक फैसला करार देते हुए आरोप लगाया था कि भारत जैसे देश में पीएम मोदी की नोटबंदी की घोषणा से करोड़ों लोगों का सरकार पर से ही नहीं बैंकिग व्यवस्था पर से भी भरोसा टूटा है। मनमोहन ने 8 नवंबर को मोदी की इस घोषणा को भी अवैध करार दिया था कि "आज रात 12 बजे बाद 500 और 1000 रूपए के नोट की कोई कीमत नहीं रह गई और वे कागज के टूकड़े मात्र रहे गए हैं।"
कांग्रेस का मानना है कि देश में व्यापक जागरूकता अभियान के जरिए लोगों को मोदी की नोटबंदी की योजना के खतरों को से रूबरू करवाया जाएगा। कांग्रेस का यह भी मानना है कि छोटे कस्बों और शहरों में लोगों के कारोबार खत्म होने और देश के औद्योगिक क्षेत्रों में बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां छिन जाने से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।
इधर संसद के शीतकालीन सत्र के अब मात्र तीन दिन शेष बचे हैं। चार दिन के अवकाश के बाद जब बुधवार को लोकसभा की बैठक होगी तो कांग्रेस बाकी विपक्षी दलों के साथ नोटबंदी पर लोकसभा में चर्चा के लिए दबाव डालेगी। पिछले हफ्ते शुक्रवार को लोकसभा में कांग्रेस ने नोटबंदी पर चर्चा की हामी भर दी थी, लेकिन सत्तापक्ष की ओर से पिछले चार सप्ताह से संसद में व्यवधान पैदा करने के लिए माफी मांगने की शर्त लगने से विपक्षी दल भड़क गए। जिससे हंगामे के कारण संसद की कारवाई चार दिन यानी बुधवार तक स्थगित कर देनी पड़ी।