हिमाचल के साथ गुजरात चुनाव कार्यक्रम घोषित न करने को लेकर बवाल हुआ तेज

Update: 2017-10-13 15:08 GMT

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित न किए जाने को लेकर कांग्रेस-भाजपा ही नहीं संविधान, और कानून जानकारों के बीच भी तीखी तकरार में नया मोड़ आ गया है। गुरुवार को भारत के निर्वाचन आयोग ने बीजेपी शासित गुजरात में चुनाव कार्यक्रम मुलतवी कर हिमाचल प्रदेश में चुनाव कार्यक्रम घोषित करते हुए आचार संहिता लगाने को लेकर सियासी घमासान मच गया है। कांग्रेस का आरोप है कि एक षड्यंत्र की वजह से ही चुनाव आयोग ने गुजरात में भी हिमाचल के साथ चुनाव घोषित नहीं किए।

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गुजरात में चूंकि 16-17 तारीख को प्रधानमंत्री का दौरा है। इसलिए आयोग ने गुजरात में चुनाव कार्यक्रम घोषित करने से कन्नी काट ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए आगाह कर दिया है, कि चुनाव आयोग जैसी सर्वोच्च संवैधानिक संस्था के दोहरे मानदंडों को देखते हुए कांग्रेस ने विरोध दर्ज कराया है।

उन्होंने कहा जानबूझकर गुजरात चुनाव कार्यक्रम लंबित रखा गया है ताकि भाजपा को मतदाताओं को लुभाने का भरपूर मौका मिल सके। सिंघवी ने कहा कि पीएम को गुजरात में चुनावी रेवड़ियां बांटने का मौका देने के लिए आयोग ने ऐसा किया है।

दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेस की आशंकाओं को बेबुनियाद बताते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि 2002 व 2007 में हिमाचल प्रदेश व गुजरात चुनाव कार्यक्रम अलग-अलग घोषित हुए थे। उन्होंने कांग्रेस को चुनौती दी कि उन्हें गुजरात में चुनाव लड़ने का माद्दा दिखाना चाहिए। चुनाव आयोग जैसी सर्वोच्च संवैधानिक संस्था और यहां तक कि न्यायपालिका पर आरोप लगाने से बाज आना चाहिए।

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प्रसाद का कहना है कि 2007 व 2012 में केंद्र में जब यूपीए की सरकार थी तो उस वक्त दोनों ही राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर चुनाव कार्यक्रम घोषित किए गए। उन्होंने कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला की इस मांग को खारिज किया कि हिमाचल व गुजरात में चुनाव एक ही तारीखों पर संपन्न कराया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश की 68 सीटों के लिए मतदान 9 नवंबर को कराने का फैसला किया है।

ज्ञात रहे कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने आयोग की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि दोनों प्रदेशों के चुनाव कार्यक्रम एक साथ घोषित किये जाने चाहिए थे।

कांग्रेस व बाकी विपक्षी पार्टियों का असल निशाना कुछ समय पूर्व बनाए गए मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति पर है। जो पीएम मोदी के करीबी हैं तथा गुजरात के मुख्य सचिव रह चुके हैं। कांग्रेस इसीलिए ज्यादा हमलावर है क्योंकि उसे लगता है कि ज्योति ने गुजरात में भाजपा को परोक्ष तौर पर मदद पहुंचाने के लिए चुनाव कार्यक्रम हिमाचल की तारीखों के साथ घोषित नहीं किया।

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गुजरात व हिमाचल प्रदेश में केवल 2002 को छोड़कर चुनाव कार्यक्रम एक साथ घोषित हुआ। केवल 2002 में ऐसा हुआ जब गुजरात में गोधरा दंगों की वजह से विधानसभा अचानक वक्त से पहले ही भंग कर दी गई। हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्योति ने कल अपनी सफाई में कहा कि गुजरात में समय से पूर्व चुनाव कार्यक्रम घोषित करके हम चुनावी प्रकिया को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहते क्योंकि इससे विकास के काम प्रभावित होते हैं।

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