दुर्गेश पार्थसारथी
अमृतसर: हाड़़ कंपाती सर्दी में सीमा पर तैनात बीएसएफ और सेना के जवानों को जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दोहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक ओर जम्मू-कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात जवानों को भारी बर्फबारी में आतंकियों और घुसपैठियों को रोकना पड़ता है वहीं दूसरी ओर पंजाब में भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों को घनी धुंध में घुसपैठियों और सरहद पार बैठे नशा तस्करों द्वारा भेजी जा रही नशे की खेप को रोकना किसी चुनौती से कम नहीं है।
वैसे तो भारत-पाक से सटे पंजाब में सरहद पार से नशे की खेप का आना और जवाना द्वारा पकड़े जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन सर्दी और धुंध के मौसम में यह काम अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक बढ़ जाता है। नशा तस्कर भी सर्दी के इन दो महीनों दिसंबर और जनवरी में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि धुंध के कारण विलिजीविलटी काफी कम होती है। इस मौसम में दोनों तरफ से घुसपैठ का भी खतरा बना रहा है। सीमा पर धुंध के कारण दृश्यता कम होने का लाफ उठाकर तस्कर आसानी से नशे की खेप तारबंदी के इस पार भारतीय सीमा में फेंक देते हैं।
तार के उस पार खेती करने की आड़ में नशा तस्कर पाकिस्तान से आई इन खेपों को लाकर पंजाब सहित देश के अन्य भागों में सप्लाई करते हैं। इसके साथ ही अनधिकृत तौर पर भारत से पाक और पाक से भारत आने की कोशिश करने वाले भी सक्रिय हो जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह के लोग ऐसे मौसम की ताक में रहते हैं। ऐसे में बीएसएफ को वर्ष के अन्य दिनों की अपेक्षा धुंध और कोहरे में गश्त बढ़ानी पड़ती है।
पाक से लगती 553 किमी लंबी सीमा रेखा
पठानकोट से लेकर गुजरात तक लगने वाली भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा में 553 किलोमीटर लंबी सरहद पंजाब के पठानकोट से फाजिल्का तक लगती है। इसमें कहीं तारबंदी की गई है तो रावी और सतलुज दरिया में तारबंदी अभी तक नहीं हो सकी है। यहां पर जवान लेजर तकनीक का सहारा लेते हैं। इसमें पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर के रमदास इलाके में रावी तो तरनतारन और फिरोजपुर में सतलुज का दरियाई इलाका लगता है। मैदानी क्षेत्रों के अलावा बीएसएफ जवानों को दरियाई क्षेत्रों में तस्करों से निपटने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
हालांकि इन क्षेत्रो में लेजर सिस्टम लगाया गया है। बिंब के बीच में यदि कुछ भी आ जाता है तो अलार्म बजने लगता है और जवान सर्च अभियान शुरू कर देते हैं। फिर भी रावी और सतलुज दरिया में कई बार पाकिस्तानी नौका मिलने की खबरें आती रहती हैं। यहीं नहीं जवानों को गुब्बारों और जासूसी के लिए प्रशिक्षित पक्षियों से भी निपटना पड़ता है।
नाइट विजन डिवाइस से लैस हैं जवान
सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने बताया कि इस समय शाम को 7 बजे से दिन के 11 बजे तक धुंध छाई रहती है। ऐसे में दुश्मन की नापाक हरकतों, घुसपैठियों और तस्करों से निपटने के लिए सरहद की निगहबानी में तैनात जवानों को गहरी धुंध में भी ज्यादा दूर तक साफ विजन के लिए नाइट विजन डिवाइस से लैस किया गया है।
इसके साथ ही गश्त के लिए जवानों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। करीब 450 मीटर के दायरे में एक जवान को गश्त करनी पड़ती है। रात के समय स्थिति खतरनाक हो जाती है। झाडिय़ों और दरियाई क्षेत्रों सहित अन्य दुरह इलाकों में गश्त कर रहे जवानों को अत्याधुनिक उपकरणों और हथियारों से लैस कर दिया गया है ताकि वह किसी भी स्थिति में दुश्मन का मुंहतोड़ जवाब दे सकें।
बीएसएफ ने एक दिन में पकड़ी 17 किलो हेरोइन
पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल और जम्मू और कश्मीर में भारी बर्फबारी के कारण सूबे में ठंड और कोहरे का असर बढ़ गया है। हालात यह है कि दृश्यता तीन से 10 मीटर तक पहुंच गई है। ऐसे मौसम का लाभ उठाते हुए सरहद के उस पार बैठे नशा तस्करों ने एक दिन करीब 17 किलो से अधिक हेरोइन के पैकेट भारतीय सीमा में फेंके। बीएसएफ के सतर्क जवानों ने जब सर्च अभियान चलाया तो उन्हें सदगी चौकी क्षेत्र में तारपार खेतों में हेरोइन के पैकेट, प्लास्टिक की पाइप, प्लास सहित अन्य सामान और मादक पदार्थ बरामद हुए।
बीएसएफ के आईजी महिपाल यादव ने बताया कि एक साल में सीमा सुरक्षा बल ने पाकिस्तान से लगी पंजाब की सीमा पर 250 किलो से अधिक हेरोइन व अफीम सहित अन्य नशीले पदार्थ बरामद किए। इसके अलावा 30 से अधिक सिम कार्ड, हैंड ग्रेनेड, पाक व चीन निर्मित पिस्टल, कारतूस आदि बरामद करने के अलावा करीब 60 से अधिक लोगों को सीमा पार करने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार किया गया है। यही नहीं कई घुसपैठियों और तस्करों को बीएसएफ के चौकस जवानों ने मार गिराया। कई नशा तस्करों को गिरफ्तार कर संबंधित थाने की पुलिस को सौंपा गया है।