भूख हड़ताल खत्म करते समय भावुक हुईं इरोम, मणिपुर की CM बनने की जताई इच्छा
इंफाल : मणिपुर में सेना के अत्याचार और AFSPA के खिलाफ बीते 16 सालों से भूख हड़ताल पर बैठी इरोम शर्मिला ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ लिया। उन्होंने जमानत बॉन्ड भी भर दिया है। वकील ने बताया कि इंफाल कोर्ट ने इरोम शर्मिला को 10 हजार रुपए के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा कर दिया है।
इरोम ने मंगलवार को शहद खाकर अपना अनशन तोड़ा। इस दौरान वह बहुत भावुक हो गईं। इरोन ने कहा कि वो अपनी रणनीति में बदलाव कर रही हैं। इरोम ने कहा, 'मैंने अपना संघर्ष खत्म नहीं किया। मैं अहिंसा का रास्ता अपनाऊंगी इसके लिए मुझे शक्ति चाहिए। इरोम ने कहा कि यहां की राजनीति बहुत गंदी है। अपनी राजनीतिक मंशा साफ करते हुए इरोम ने कहा कि वो मणिपुर की सीएम बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे राजनीति के बारे में कुछ भी नहीं पता। मेरी ताकत लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए होगी।
इरोम से जुड़ी खास बातें :-
-गौरतलब है कि इरोम शर्मिला को पिछले 16 सालों से नाक के जरिए तरल खाना दिया जा रहा है।
-उन्होंने सेना को मिले खास अधिकार AFSPA के खिलाफ साल 2000 में भूख हड़ताल शुरू की थी।
-साल 2014 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन करने के लिए उन पर आत्महत्या की कोशिश को लेकर ट्रायल भी चला था।
-इरोम को इसका मलाल जरूर है कि उनके इस मकसद में लोगों का वैसा समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी।
कौन हैं इरोम शर्मिला
- आयरन लेडी के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला का जन्म 14 मार्च 1972 को मड़िपुर में हुआ था।
- इरोम मणिपुर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट AFSPA 1958 को हटाए जाने की मांग को लेकर 2 नवंबर 2000 से भूख हड़ताल पर बैठी थीं।
- इस भूख हड़ताल के तीसरे दिन सरकार ने इरोम शर्मिला को गिरफ्तार कर लिया था।
- उन्होंने जब भूख हड़ताल की शुरुआत की थी तो वे 28 साल की युवा थीं।
- इरोम को कई साल से नाक में ट्यूब डालकर जबरन खाना खिलाया जा रहा था।
इरोम क्यों बैठी थीं भूंख हड़ताल पर
- इरोम शर्मिला के अनशन शुरू करने से 10 दिन पहले असम राइफल्स के सैनिकों ने 10 लोगों को गोलियों से मार डाला था, जिनमें दो बच्चे भी शामिल थे।
-इसके बाद से इरोम अनशन पर बैठी थीं।
इरोम के नाम दो रिकॉर्ड
- उनके नाम पर अबतक दो रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं।
-पहला सबसे लंबी भूख हड़ताल करने और दूसरा सबसे ज्यादा बार जेल से रिहा होने का रिकॉर्ड दर्ज है।
इरोम को मिला खिताब
- 2014 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्हें एमएसएन ने वूमन आइकन ऑफ इंडिया का खिताब दिया था।
- इरोम शर्मिला ने 1000 शब्दों में एक लंबी ‘बर्थ’ शीर्षक से एक कविता लिखी थी।
- यह कविता ‘आइरन इरोम टू जर्नी- व्हेयर द एबनार्मल इज नार्मल’ नामक एक किताब में छपी थी।
-इस कविता में उन्होंने अपने लंबे संघर्ष के बारे में बताया है।
- साल 2014 में दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनशन करने के लिए उन पर साल 2013 में सुसाइड की कोशिश को लेकर ट्रायल चला था।
- बाद में कोर्ट ने उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस बात के सबूत नहीं है कि उनका यह प्रदर्शन एक सुसाइड एक्ट है।
आखिर क्या है AFSPA?
-अफस्पा के तहत सेना को मणिपुर में अतिरिक्त शक्तियां मिली हुई हैं।
-आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (अफस्पा) को साल 1958 में संसद ने पारित किया गया था।
-इस एक्ट में सेना को किसी भी व्यक्ति को बिना कोई वारंट के तशाली या गिरफ्तार करने का विशेषाधिकार है।
-अगर वह शख्स गिरफ्तारी का विरोध करता है तो उसे जबरन गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार सेना को है।
-यह एक्ट हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार और न्यायिक छूट देता है।
-फिलहाल यह असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में लागू है।
पीएम मोदी को भी लिखी थी चिट्ठी
-29 मई 2014 को इरोम शर्मिला पीएम मोदी को भी चिट्ठी लिख चुकी हैं।
-उन्होंने पीएम से कहा था कि वो ये क़ानून मणिपुर से हटा दें और एक ऐसे नेता बनें जो अहिंसा में विश्वास करता है।
-उन्होंने अपनी चिट्ठी में कलिंग के सम्राट अशोक के भयानक तबाही, हत्याओं और विलाप देखने के बाद अहिंसा का रास्ता चुनने का हवाला दिया और उसे गुजरात दंगों से जोड़ा था।
-अपनी चिट्ठी में इरोम ने कहा था कि पांच साल पहले तक वो नरेंद्र मोदी को एक हिंसात्मक नेता के तौर पर ही जानती थीं।
-उनके पीएम बनने के बाद अब वो उनसे शांति की उम्मी