जूट के धागे से जीवन को रोशन कर रही ये महिलाएं, दूसरों के सपनों को भी दे रहीं पंख

जूट के कई वस्तुएं आज बाजार में उपलब्ध में हैं, लेकिन पहले जूट की सिर्फ रस्सियां ही मिलती थीं। बाजार में जूट के स्टाइलिश बैग, मैट, फ्लाॅवर पाॅट और कई तरह सजावटी समान मिलते हैं। ये समान घर में चार चांद लगाने का काम करते हैं।

Update:2018-12-24 19:45 IST

लखनऊ: जूट के कई वस्तुएं आज बाजार में उपलब्ध में हैं, लेकिन पहले जूट की सिर्फ रस्सियां ही मिलती थीं। बाजार में जूट के स्टाइलिश बैग, मैट, फ्लाॅवर पाॅट और कई तरह सजावटी समान मिलते हैं। ये समान घर में चार चांद लगाने का काम करते हैं।

जूट के उत्पाद खूब किए जा रहे हैं पसंद

झारखंड के छोटे से शहर लोहरदगा के इस्लाम नगर की महिलाएं जूट के कई खूबसूरत सामान बना रही हैं। महिलाएं जूट से जीवन का तानाबाना बुन रही हैं और जिंदगी सवार रही हैं। ये महिलाएं इस तरह आत्मनिर्भर हो रही हैं। जूट के सामान पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं।

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जूट के रंगीन और आकर्षक उत्पाद महानगरों में लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ये अब बाजार में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है। यहां के थैले बड़े शहरों में कामकाजी महिलाओं या कॉलेज जाने वाले छात्राओं के कंधे पर नजर आ सकते हैं। प्लास्टिक बैग पर बैन के बाद जूट के थैले की मांग भी काफी बढ़ गई है।

महानगरों में पहचान बना रहीं महिलाएं

लोहरदगा जैसे छोटे से शहर की महिलाएं अपनी मेहनत और कला की बदौलत महानगरों में पहचान बना रही हैं। ये महिलाएं सशक्त समाज का निर्माण कर रही हैं। लोहरदगा में लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड का निर्माण हो गया है। इसके बैनर तले इस्लाम नगर की दर्जनभर महिलाएं झारक्राफ्ट या जूट क्राफ्ट कह सकते हैं इसकी मदद से आज अपने परिवार के लिए मदद बन रही हैं। साथ ही ये अपनी पहचान भी बना रही हैं।

नाबार्ड ने दिया सपनों को उड़ान

इन महिलाओं के सपनों को उड़ान नाबार्ड ने दिया। नाबार्ड ने सहयोग किया और इनके सपनों और हौसलों को पंख लग गए। अब कंपनी बनाकर ये महिलाएं कदम आगे बढ़ा रही हैं। पहले दर्जनभर महिलाओं ने जूट क्राफ्ट का काम शुरू किया था। अब सैकड़ों महिलाएं इससे जुड़ गईं। ये महिलाएं भी अब एंबेसडर का काम कर रही हैं।

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ये महिलाएं पूरे जिले में घूम-घूमकर आर्थिक रूप से कमजोर दूसरी महिलाओं को अपने जोड़ने का काम रही हैं। उन्हें इससे जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। यह महिलाओं की ओर से महिलाओं के लिए महिला सशक्तीकरण का अभियान बन गया है। घर बैठे घरेलू काम से फुर्सत के बाद ये महिलाएं चार-छह घंटे काम कर आसानी से पांच-छह हजार रुपये महीने कमा लेती हैं। काम कर रहे हैं और साथ में छोटे बच्चे भी हैं तो भी कोई परेशानी नहीं। यानी घर की जिम्मेदारी संभालते हुए सब हो रहा है।

नाबार्ड ने उपलब्ध कराता है कच्चा माल और बाजार

जूट के उत्पाद के बनाने का काम कर रहीं महिलाओं को कच्चे माल और बाजार में बिक्री की भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। नाबार्ड अनुदान के साथ कच्चा माल और बाजार दोनों उपलब्ध कराता है। महिलाओं का काम बस कच्चे सामान से बैग, थैला, फ्लावर पॉट, मैट, सजावटी दूसरे सामान तैयार करना होता है। समय-समय पर लगने वाले मेलों में भी इनके उत्पाद की खूब मांग रहती है।

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लोहरदगा के पेशरार की खूबसूरत वादियों में लावापानी एक बेहद खूबसूरत झरना है। इस्लाम नगर की महिलाओं ने इसी पर अपनी कंपनी का नाम लावापानी क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड दिया है। यह एक रजिस्टर्ड कंपनी है।

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