लालू ने नीतीश कुमार को लिखा खुला पत्र, लगाया ये बड़ा आरोप

लालू प्रसाद ने सोमवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड का चुनाव चिन्ह तीर, हिंसा का पुराना प्रतीक है। चारा घोटाला मामले में झारखंड में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है और इसलिए यह हमेशा प्रकाश फैलायेगा।

Update:2019-05-13 18:37 IST
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पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद ने सोमवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड का चुनाव चिन्ह तीर, हिंसा का पुराना प्रतीक है। चारा घोटाला मामले में झारखंड में सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है और इसलिए यह हमेशा प्रकाश फैलायेगा। प्रसाद ने यह टिप्पणी आम चुनाव के अंतिम चरण से पूर्व अपने चिर प्रतिद्वंदी कुमार को एक लिखे खुले पत्र में की है।

वह कुमार के चुनावी रैलियों में बार बार कहे गए रूपक कि ‘लालटेन के दिन लद गए’ को लेकर पलटवार कर रहे थे। इस रूपक के दो आशय समझे गए, एक यह कि बिहार में बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है और दूसरा यह कि कथित तौर पर राज्य में राजद का राजनीतिक पराभव हुआ है।

जद(यू) प्रमुख कुमार को छोटे भाई संबोधित करते हुये प्रसाद ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें (कुमार को) आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गयी है। दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो। तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है। मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है। ग़रीबों के जीवन से तिमिर हटाने का उपकरण है।

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सोशल मीडिया पर भी जारी इस पत्र में उन्होंने कहा कि हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैरबराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अँधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे। तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है। मार-काट व हिंसा का पर्याय और प्रतीक है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि याद रखो कि जनता को लालटेन की ज़रूरत हर परिस्थिति में होती है। प्रकाश तो दीये का भी होता है। लालटेन का भी होता है और बल्ब का भी होता है। बल्ब की रोशनी से तुम बेरोज़गारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अँधेरा नहीं हटा सकते इसके लिए मोहब्बत के साथ खुले दिल और दिमाग़ से दीया जलाना होता है। समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को ‘दीया और बाती’ बनना पड़ता है। समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफ़रती आँधियों से उलझते व जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है।

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प्रसाद ने आरोप लगाते हुये लिखा कि तुम क्या जानो इन सब वैचारिक और सैद्धांतिक उसूलों को। डरकर शॉर्टकट ढूँढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है। उनका इशारा परोक्ष रूप से दो साल पहले राजद और कांग्रेस गठबंधन से जदयू के निकलने और भाजपा में शामिल होने की ओर था।

प्रसाद ने जदयू के चुनाव चिन्ह ‘तीर’ का उल्लेख करते हुये कटाक्ष किया कि तुम कहाँ मिसाइल के ज़माने में तीर-तीर किए जा रहे हो? तीर का ज़माना अब लद गया । तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा। लालटेन तो हर जगह जलती दिखेगी और पहले से अधिक जलती हुयी मिलेगी क्योंकि 11 करोड़ ग़रीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है। बाक़ी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ। तुम्हारी मर्ज़ी..

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इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जेल में बंद किसी व्यक्ति का पत्र लिखना जेल नियम पुस्तिका का उल्लंघन है। रांची जेल प्रशासन को इस पर संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करनी चाहिये।

भाषा

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