Malhar certificate: महाराष्ट्र में झटका मीट के लिए ‘मल्हार’ सर्टिफिकेट, जानिए ये सब है क्या?
Malhar certificate: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने राज्य भर के सभी ‘झटका’ मटन और चिकन विक्रेताओं को नए ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ के तहत पंजीकृत करने के लिए एक पोर्टल शुरू करने की घोषणा की है।;
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे (photo: social media )
Malhar certificate: महाराष्ट्र में अब राज्य सरकार मांस बेचने वालों को एक नया सर्टिफिकेट ‘मल्हार’ प्रदान करेगी। लेकिन मल्हार सर्टिफिकेशन सभी मांस विक्रेताओं को नहीं बल्कि सिर्फ ‘झटका’ मीट बेचने वाले हिन्दू समुदाय के लोगों को मिलेगा।
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने राज्य भर के सभी ‘झटका’ मटन और चिकन विक्रेताओं को नए ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ के तहत पंजीकृत करने के लिए एक पोर्टल शुरू करने की घोषणा की है। राणे ने हिंदू समुदाय के लिए इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में पोर्टल की घोषणा की और हिंदुओं से सिर्फ मल्हार प्रमाणन वाली दुकानों से खरीदारी करने का आग्रह किया। राणे ने लिखा कि - हमने महाराष्ट्र के हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल हिंदुओं को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार किए गए झटका मांस बेचने वाली मटन की दुकानों तक पहुंच प्रदान करेगी।
नई पहल में, मत्स्य पालन और बंदरगाह कैबिनेट मंत्री राणे ने एक नई वेबसाइट MalharCertification.com भी लॉन्च की, जिसे उपभोक्ताओं को प्रमाणित ‘झटका’ मांस विक्रेताओं से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
क्या है मल्हार सर्टिफिकेशन
- मल्हार प्रमाणन का उद्देश्य हिंदुओं और सिखों के लिए गैर-हलाल मांस की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार ही बकरी और भेड़ का मांस ताजा, स्वच्छ, लार के संदूषण से मुक्त हो और किसी अन्य पशु के मांस के साथ मिश्रित न हो।
- इस प्लेटफ़ॉर्म के तहत बेचा जाने वाला मांस विशेष रूप से हिंदू खटिक समुदाय के विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध होगा।
- मल्हार वेबसाइट के अनुसार ये प्लेटफ़ॉर्म उन विक्रेताओं को बढ़ावा देता है जो मांस तैयार करते समय सख्त हिंदू धार्मिक प्रथाओं का पालन करते हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि यह हिंदू खटिक समुदाय की परंपराओं का पालन करता है।
झटका मांस ही क्यों?
- मांस बनाने के दो तरीके होते हैं - झटका और हलाल। हलाल पद्धति इस्लामिक प्रथाओं के अनुरूप है जिसमें पशु का वध एक झटके से नहीं किया जाता है। वहीँ झटका पद्धति हिन्दू तथा सिख प्रथाओं के अनुरूप है जिसमें पशु का वध एक झटके में कर दिया जाता है। इनका मानना है कि यह मांस खाने की अधिक नैतिक प्रथा है, क्योंकि जानवर को बिना किसी लम्बी पीड़ा के तुरंत मार दिया जाता है।
- हलाल मांस पर बढ़ते विरोध के बीच गैर-हलाल उत्पादों की मांग बढ़ रही है। हाल ही में इसका एक उदाहरण पिछले साल नवंबर में एयर इंडिया द्वारा हिंदू और सिख यात्रियों के लिए गैर-हलाल भोजन परोसना था।
- झटका में किसी धार्मिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, इसलिए इसका सेवन धार्मिक संबद्धता की परवाह किए बिना हर कोई कर सकता है।
कोशर और हलाल
कोशर और हलाल दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली धार्मिक पशु वध प्रक्रियाओं में से दो हैं। कानूनी तौर पर कोशर का पालन यहूदियों द्वारा और हालाल का पालन मुसलमानों द्वारा किया जाता है लेकिन दोनों की प्रक्रिया एक जैसी होती है।
आम शब्दों में कहें तो हलाल वध की इस्लामी विधि को दर्शाता है जबकि झटका वध की गैर-इस्लामिक विधि को बताता है। 'हलाल' एक अरबी शब्द है जो अंग्रेजी में "अनुमन्य" के समान है। हलाल की वध विधि के दौरान तस्मिया नामक भक्ति का पाठ किया जाता है। मुसलमानों से अपेक्षा की जाती है कि वे केवल ताजा हलाल मटन खाएं और अल्लाह को अर्पित न की गई किसी भी चीज़ को अस्वीकार करें। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि हलाल बेहतर है, लेकिन विशेषज्ञ इससे असहमत हैं। यह बताना असंभव है कि दोनों के बीच कोई आहार भिन्नता है या नहीं।