श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने शनिवार देर शाम मोदी सरकार की कश्मीर नीति के खिलाफ कदम उठाया। उन्होंने अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस समेत सभी पक्षों को आज घाटी में पहुंचने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत का न्योता भेज दिया। हालांकि, महबूबा ने सीएम के तौर पर नहीं, पीडीपी अध्यक्ष के नाते ये न्योता भेजा है। फिर भी हुर्रियत को बातचीत के लिए बुलाना केंद्र सरकार की नीति के ठीक उलट है।
महबूबा ने न्योते में क्या लिखा?
हुर्रियत समेत सभी पक्षों को अपनी चिट्ठी में महबूबा ने लिखा है, "घाटी की समस्याओं के हल के लिए सार्थक बातचीत में हुर्रियत समेत समाज के सभी वर्गों को शामिल करना चाहिए। बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार चला रहीं मुफ्ती ने ये भी लिखा कि देश के केंद्रीय नेतृत्व को बिना देरी के हुर्रियत समेत सभी वर्गों से बातचीत करनी चाहिए। ताकि राज्य में शांति स्थापित हो सके। आप लोग जो समय ठीक लगे वह बताएं, ताकि दिल्ली से आने वाले लोगों से आपकी मुलाकात हो सके।"
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केंद्र की कश्मीर नीति क्या?
केंद्र सरकार की कश्मीर नीति कहती है कि भारत के संविधान के दायरे में किसी से भी बातचीत हो सकती है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस चूंकि संविधान को नहीं मानता और अलगाववाद को बढ़ावा देता है, इस वजह से उससे बातचीत संभव नहीं है। माना जा रहा है कि महबूबा ने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर ये कदम उठाया है। ऐसे में आने वाले दिनों में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन भी खटाई में पड़ने के आसार दिखने लगे हैं।