अपना भारत संवाददाता
कटक। ओडीशा में लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा के भी चुनाव होने हैं। यह चुनाव बहुत दिलचस्प होगा क्योंकि ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 19 साल से लगातार राज्य पर शासन कर रहे हैं। वर्ष 2000 में राज्य की बागडोर संभालने के बाद से नवीन पटनायक ने हर चुनाव स्पष्टï बहुमत से जीता है लेकिन इस बार डगर कठिन है। वजह है कि नवीन पटनायक और उनकी बीजू जनता दल (बीजद) के खिलाफ जबर्दस्त एंटी इंकम्बैंसी लहर चल रही है।
वर्षों से नवीन पटनायक ने लोकलुभावन योजनाओं के जरिए एक व्यापक वोट बेस तैयार किया है। इसके अलावा राज्य में विपक्ष बहुत कमजोर स्थिति में रहा है। इस बार हालात बदले हैं क्योंकि भाजपा की ओर से केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान नवीन पटनायक के लिए कड़ी चुनौती बन कर उभरे हैं। प्रधान ने भाजपा के संगठन के काफी मजबूती प्रदान की है। ओडीशा भाजपा के लिए काफी महत्व रखता है क्योंकि यहां पार्टी अपने जड़ें अभी तक नहीं जमा पाई थी। 2014 के चुनावों में भाजपा ने राज्य में लोकसभा की 21 सीटों में से मात्र एक सीट जीती थी। वहीं विधानसभा के चुनाव में 147 सीटों में से 10 पर विजय दर्ज की थी। इसके विपरीत बीजद ने लोकसभा की 20 व विधानसभा की 117 सीटों पर अपना परचम फहराया था।
पिछले पांच साल में भाजपा ने अपने संगठन को मजबूत करने में काफी मेहनत की है। पार्टी की नजर लोकसभा की कम से कम 12 सीटें जीतने पर है। यही नहीं विधानसभा में भाजपा स्पष्टï बहुमत हासिल करने का दावा कर रही है।
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ओडीशा के इतिहास में पहली बार यहां चार चरणों में चुनाव होने जा रहा है। चुनाव आयोग ने राज्य में वामपंथी अतिवाद और केंद्रीय बलों के ट्रांसपोर्टेशन को देखते हुए यह फैसला किया है। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चार चरणों में चुनाव होने से भाजपा को काफी फायदा होगा क्योंकि उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कई रैलियां करने का अवसर मिल जाएगा। यहां जहां तक कांग्रेस की बात है तो 2014 में उसे एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली थी जबकि विधानसभा में 16 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। 2017 के पंचायत चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया था और मुख्य विपक्ष का दर्जा हासिल किया था।
मिशन पूर्वोदय
ओडीशा को मोदी सरकार मिशन पूर्वोदय का द्वार मानती है। यही वजह है कि केंदर सरकार द्वारा यहां बीते 5 साल में बिजली, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा के क्षेत्र में ढेरों योजनाएं चलाई जा रही हैं। राज्य में तील व गैस के कई प्रोजेक्ट्स में 1.40 लाख करोड़ का निवेश हुआ है। ओडीशा में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना को जबर्दस्त सफलता मिली है जिसके तहत 37.16 लाख एलपीजी कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं। इसके अलावा बीते पांच साल में ओडीशा में नेशनल हाईवे की संख्ता दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है।
भाजपा को फायदा
केन्द्रापाड़ा के पूर्व सांसद बैजयंत पांडा बीजद के संस्थापकों में से थे। वह हाल में भाजपा में शामिल हुए हैं और नवीन पटनायक को हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
इनके अलावा 6 बार के एमएलए दामोदर राउत, नबरंगपुर के सांसद बालभद्र माझी और बीजद के चार विधायकों द्वारा भाजपा में आना भी नवीन पटनायक के लिए मुसीबत बढ़ा रहा है।