Palghar Lynching Case: SC में साधुओं की लिचिंग मामले पर 19 को होगी सुनवाई, CBI जांच पर आ सकता है फैसला
Palghar Lynching Case: साल 2020 में कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र में हुई मॉब लिचिंग की एक घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था।
Palghar Lynching Case: साल 2020 में कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र में हुई मॉब लिचिंग की एक घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। राजधानी मुंबई से 140 किलो मीटर दूर पालघर में दो साधुओं को एक हिंसक भीड़ ने पीट पीटकर मौत के घाट उतार दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर दाखिल याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई होगी। पहले इस मामले की सुनवाई 16 सितंबर को होनी थी लेकिन समय की कमी के चलते जस्टिस चंद्रचुड़ ने सोमवार 19 तारीख को सुनवाई के लिए सुचीबद्ध करने का आदेश दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पालघर मॉब लिंचिंग केस की जांच सीबीआई से कराने को लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। याचिका में महाराष्ट्र पुलिस की जांच को नाकाफी बताया गया है। वहीं महाराष्ट्र पुलिस ने सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया है। महाराष्ट्र पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में याचिका खारिज करने के साथ – साथ याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने की मांग की गई है।
पुलिसकर्मियों को दी जा चुकी सजा
महाराष्ट्र पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सीआईडी इस मामले में दो चार्जशीट कोर्ट में दायर कर चुकी है। महाराष्ट्र पुलिस ने भी इन चार्जशीट को शीर्ष अदालत में दाखिल किया है। इस पूरे मामले की जांच करने के बाद दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई भी की गई है। पुलिस की विभागीय जांच में दोषी पाए गए अस्सिटेंट पुलिस इंस्पेक्टर को सरकार नौकरी से बर्खास्त कर चुकी है। अस्सिटेंट पुलिस सब इंस्पेक्टर रविन्द्र दिनकर सालुंखे और हेडकांस्टेबल नरेश ढोंढी को कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया जा चुका है। इसके अलावा लापरवाही के दोषी 15 पुलिसकर्मियों को दो से तीन साल न्यूनतम वेतन दिए जाने की सजा दी गई है। बता दें कि अदालत ने पिछली सुनवाई में महाराष्ट्र पुलिस की जांच पर सवाल खड़े करते हुए अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के लिए कहा था। साथ ही महाराष्ट्र पुलिस से ये भी पूछा कि लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के विरूद्ध क्या एक्शन हुआ।
पालघर में साधुओं की मॉब लिचिंग
16 अप्रैल 2020 को मुंबई के कांदिवली से दो संन्यासी 70 साल के कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशीलगिरी महाराज सुरत में महंत श्री राम गिरी के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। उन्होंने सूरत जाने के लिए एक कार किराए पर लिया था, जिसे निलेष येलगेड़े नामक 30 वर्षीय युवक चला रहा था। लॉकडाउन होने के कारण इन्होंने हाईवे छोड़ पालघर जिले के पीछे वाले रास्ते से गुजरात में घुंसने का फैसला लिया। उनकी कार गडचिंचले गांव के पास पहुंची तो वन विभाग के संतरी ने उन्हें रोक दिया। उन तीनों की बात संतरी से हो रही थी कि कुछ उग्र लोगों ने उनपर हमला बोल दिया। साधुओं को बच्चा चोर गिरोह का सदस्य बता लोग उन्हें पीटने लगे।
गाड़ी से नीचे खींचकर तीनों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। बता दें कि पिछले दिनों 14 सितंबर 2022 को महाराष्ट्र के सांगली में भी ऐसी ही एक वारदात देखऩे को मिली थी। चार साधुओं का जत्था यूपी से महाराष्ट्र पंढरपुर दर्शन के लिए आया था। बीजापुर से निकलने के दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें रोका और इनसे पूछताछ करने लगे। भाषा नहीं समझने के कारण साधु स्थानीय लोगों के सवाल का जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद उनपर बच्चा चोर गिरोह के सदस्य होने का आरोप लगा भीड़ हिंसक हो गई। हालांकि, समय पर पुलिस के पहुंच जाने से पालघर जैसी घटना रिपीट नहीं हुई।