कौन होगा RS में नेता विपक्ष, चिदंबरम और आनंद शर्मा में छिड़ी रेस

Update:2016-06-15 03:40 IST

नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, जिन्हें आश्चर्यचकित ढंग से कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश कांग्रेस संगठन का प्रभारी महासचिव बनाया गया है को राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। राज्यसभा में विपक्ष का नेता बहुत ही जिम्मेदारी भरा दायित्व होता है ऐसे हालात में उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच उनके लिए संसदीय दायित्व निभाना मुश्किल हो जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आजाद को यूपी की सियासी चुनौती के हिसाब से जो दायित्व सौंपने के साथ ही उनसे राज्य में कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए पूरा वक्त व ध्यान केंद्रित करने को कहा है। विधानसभा चुनाव अगले साल जनवरी में आरंभ होंगे और मार्च तक उन्हें राज्य की चुनावी प्रक्रिया में अति व्यस्त रहना होगा। आजाद लंबे समय तक यूपी के प्रभारी रहे हैं वह राज्य में बड़ी तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को पहचानते हैं।

संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता को केबिनेट रैंक का दर्जा प्राप्त होता है। ऐसे हालात में कांग्रेस नेता आंनद शर्मा, जो कि सदन में विपक्ष के उप नेता का दायित्व निभा रहे है, गुलाम नबी की कुर्सी पर नजरें गड़ाए हुए हैं। आनंद शर्मा की राह में सबसे बड़ी मुश्किल पूर्व वित्त मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने खड़ी कर दी है, जो वरिष्ठताक्रम के हिसाब से विपक्ष के नेता पद पर अपना स्वाभाविक दावा ठोक रहे हैं।

70 साल के चिदंबरम की सबसे बड़ी निजी मुश्किल यह है कि वह हिंदी नहीं बोलते। कई बार हिंदी समझने में भी उन्हें दुभाषिए की जरूरत होती है। कांग्रेस में उनकी इस कमजोरी को लेकर चिंता है। उन्हें राज्यसभा में हिंदी में भाषण देने वाले नेताओं को सुनने और उनकी बात समझने में कठिनाई तो होगी ही, विपक्ष के नेताओं, खास तौर पर हिंदीभाषी सांसदों से वार्तालाप करने में उन्हें कई तरह की मुश्किलें पेश आ सकती हैं। कांग्रेस में माना जा रहा है कि चिदंबरम की हिंदी न जानने की कमजोरी से आनंद शर्मा के पक्ष में समीकरण बन सकते हैं।

आनंद शर्मा न केवल हिंदी में अच्छा भाषण करते हैं बल्कि राज्यसभा में सरकार पर आक्रामक हमले बोलने में उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। गुलाम नबी आजाद से भी अच्छे ढंग से उन्होंने सदन में मोदी सरकार व उसकी नीतियों की घेराबंदी की। चिदंबरम की यह भी कमजोर नस है कि उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव हारने की डर से नहीं लड़ा और अब महाराष्ट्र से राज्यसभा में आ गए। तमिलनाडु में कांग्रेस को वे इस हालत में नहीं ला सकते कि वह कहीं भी गिनती में रह सके।

दूसरी ओर कांग्रेस में चिदंबरम विरोधी नेता उन्हें विपक्ष का नेता बनाने का विरोध करने में पहले से ही सक्रिय हो गए हैं। चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की बेनामी कंपनियों को लेकर कई तरह आरोपों के पुलिंदे दस जनपथ पहुंचाए जा रहे हैं। विरोधियों की मुहिम को देखते हुए चिदंबरम ने हाल में एक गोपनीय पत्र सोनिया गांधी को लिखा है। इसमें उन्होंने विस्तार से लिखा है कि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए बेबुनियाद बातें फैलाई जा रही हैं जिनमें कोई सच्चाई नहीं है।

Tags:    

Similar News