बुरे फंसे सीपी जोशीः हाई कोर्ट के दखल को बताया गलत, गए सुप्रीम कोर्ट
जोशी ने घोषणा की है कि वह इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर करेंगे कि उनकी "अच्छी तरह से परिभाषित भूमिका को राज्य उच्च न्यायालय द्वारा चुनौती दी जा रही है"।
जयपुरः राजस्थान में कांग्रेस की कलह से शुरू हुआ मामला विधानसभा अध्यक्ष की टेबल से होते हुए हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी खुद गए हैं। उनका तर्क है कि मेरे फैसला देने से पहले हाईकोर्ट दखल नहीं दे सकता है मैने तो सिर्फ नोटिस दिया है। पूरे मामले को विधायिका बनाम न्यायपालिका बनाते हुए सीपी जोशी का कहना है कि संविधान में भी यही लिखा है कि संसद कानून बनाएगी और न्यायपालिका उस पर नजर रखेगी।
सीपी जोशी का मानना है कि विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते उन्हें नोटिस जारी करने का अधिकार है। अभी बात फैसले तक पहुंची ही नहीं है फिर न्यायपालिका कैसे दखल दे सकती है।वह कहते हैं कांग्रेस की ओर से जो चिट्ठी आई उस पर विचार करने के बाद ही मैने नोटिस दिया है। इसमें किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है।
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विधानसभा अध्यक्ष कहते हैं कि 1992 से लेकर आज तक इस तरह से कभी दखल नहीं दिया गया। फिलवक्त स्थिति यह है कि पायलट गुट की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं।
सी.पी. जोशी 2008 में मुख्यमंत्रित्व काल में हार गए थे, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष के रूप में जीत के लिए नेतृत्व करने के बावजूद, उन्हें पद से हटा दिया गया था।
जोशी को इस बात पर है एतराज
2018 में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष बनने से पहले, जोशी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के महासचिव के रूप में चार साल तक कार्य किया। पिछले हफ्ते, जोशी ने सचिन पायलट और 18 अन्य विद्रोही विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया, जिसे राजस्थान उच्च न्यायालय में पायलट शिविर द्वारा चुनौती दी गई।
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मंगलवार को हाईकोर्ट ने जोशी को पायलट समेत 19 बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस पर 24 जुलाई तक कार्रवाई स्थगित करने को कहा। कोर्ट इन नोटिसों को चुनौती देने वाली याचिका पर अपने आदेश की भी घोषणा जल्द करेगा। लेकिन जोशी ने घोषणा की है कि वह इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अवकाश याचिका (एसएलपी) दायर करेंगे कि उनकी "अच्छी तरह से परिभाषित भूमिका को राज्य उच्च न्यायालय द्वारा चुनौती दी जा रही है"।