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राजस्थान स्पीकर को झटकाः सुप्रीम कोर्ट का तुरंत सुनवाई से इनकार, कहा पहले ये करें

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि स्पीकर को किसी विधायक को कारण बताओ नोटिस भेजने या उसे अयोग्य घोषित करने का पूरा अधिकार है, जब तक इस पर निर्णय ना हो जाए तब तक इसमें कोई दखल नहीं दे सकता है। 

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Published on: 22 July 2020 9:09 AM GMT
राजस्थान स्पीकर को झटकाः सुप्रीम कोर्ट का तुरंत सुनवाई से इनकार, कहा पहले ये करें
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जयपुर: राजस्थान की राजनीतिक झगड़ा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी है। स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अपील की है कि इस मामले पर आज ही सुनवाई की जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने कपिल सिब्बल की बात नहीं मानी

राजस्थान में चल रहे सियासी जंग को अब सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा तुरंत सुनवाई करने के लिए कहे जाने पर मुख्य न्यायाधीश ने ऐसा करने से इनकार करते हुए सिब्बल से कहा कि आप इसे रजिस्ट्रार के सामने पेश करें, वो ही आपको इस संबंध में बताएंगे। अदालत ने कहा कि रजिस्ट्री में जाइए, वहां आपको पता चलेगा कि मामला कब सूचीबद्ध किया जाएगा। बता दें कि, वकील सुनील फर्नाडिंज के जरिए ये याचिका दायर की गई है।

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इससे पहले राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि स्पीकर को किसी विधायक को कारण बताओ नोटिस भेजने या उसे अयोग्य घोषित करने का पूरा अधिकार है, जब तक इस पर निर्णय ना हो जाए तब तक इसमें कोई दखल नहीं दे सकता है।

विधायकों को नोटिस भेजा गया है

उन्होंने कहा कि हमने संसदीय लोकतंत्र के नियमों के अंतर्गत इस कार्य को किया, हमने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किया है। जोशी ने कहा कि फिलहाल विधायकों को नोटिस भेजा गया है, उन पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। विधानसभा स्पीकर ने कहा कि अगर हम कोई निर्णय लेते हैं, तो अदालत इस पर विचार कर सकती है। हमें केवल इतना कहना है कि विधानसभा के अध्यक्ष के काम में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जाए।

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दल-बदल कानून पर स्पीकर ही निर्णय लेगा

जोशी ने कहा था कि हम हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी देंगे, क्योंकि अदालत स्पीकर के कार्यों को बाधित या उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि 1992 में संवैधानिक पीठ ने यह तक किया है कि दल-बदल कानून पर स्पीकर ही निर्णय लेगा, ऐसे में स्पीकर के फैसले के बाद ही हाईकोर्ट इस पर विचार कर सकती है।

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