यहाँ तो भगवान बन गए डॉक्टर, बिना चीरे की सर्जरी कर दो महिलाओं को दिया जीवनदान
नोएडा : रवांडा से ब्रेन टियूमर का इलाज कराने आई इराकोजे मैमी कैरीन का सफलता पूर्वक आपरेशन कर उन्हें दोबारा जिंदगी जीने का मौका दिया गया। यह पहला वाकया था, जब रवांडा की महिला के साथ ही शालिनी नाम की एक महिला के भी ब्रेन ट्यूमर का सफल आपरेशन किया गया। यह सर्जरी फोर्टिस अस्पताल में की गई।
फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. राहुल गुप्ता और न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. हेमंत भारतीय ने बताया कि सरकार के नैशनल हेल्थ पोर्टल पर बचपन में कैंसर पर मौजूद एक स्टडी में खुलासा हुआ है, कि बचपन में ब्रेन ट्यूमर से लड़कियों के पीड़ित होने की आशंका अधिक रहती है। जबकि वयस्क होने पर लड़के-लड़कियों में यह होने की समान आशंका होती है।
उन्होंने बताया कि शालिनी और इराकोजे को फोर्टिस, नोएडा में अलग-अलग स्टेज में लाया गया था। उन दोनों के लक्षण सिरदर्द, उबकाई और एमेनोरिया एक जैसे थे। टेस्ट और जांच के बाद खुलासा हुआ कि वे दोनों ही स्कल ब्रेन ट्यूमर पिटयूईटरी एडीनोमा पिट्यूइटरी ग्लैंड में होने वाला था।
डॉ. राहुल और डॉ. हेमंत के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने पूरी जांच के बाद बेहद जटिल और सतर्कता के साथ सर्जरी कर इन ट्यूमरों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल दिया।
डेढ़ साल से थी शिकायत
शालिनी को पिछले करीब डेढ़ साल से अक्सर सिरदर्द और उलटी की शिकायत हो रही थी। इसके अतिरिक्त पिछले एक साल से उनका मासिक धर्म भी अनियमित और असंगत था। रवांडा की इराकोजे को भी यही समस्याएं थी। उन्हें धुंधला दिखाई देता था, डिप्लोपिया, इन्सोमनिया, बोलने व चलने में तकलीफ और कब्ज की लगातार शिकायत रहती थी।
बिना चीरा लागए की गई सर्जरी
डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा, दोनों रोगियों में नाक और स्फीनॉयड साइनस के जरिए एंडोस्कोपिक पिट्यूइटरी स्कल बेस्ड सर्जरी की गई। जिसमें पिट्यूइटरी ट्यूमर निकाले गए। एंडोस्कोप की आॅप्टिकल खूबी के कारण जटिल मामलों में भी एंडोस्कोपी के जरिए ट्यूमर निकालना आसान हो जाता है। यह सर्जरी प्राकृतिक नेजल एयर पाथवे नली के जरिए की गई और इसमें पारंपरिक माइक्रोस्कोपिक सर्जरी की तरह कहीं कोई चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके बाद रोगी को 4 दिन में डिस्चार्ज भी कर दिया जाता है।
क्या कहते हैं आकड़ें
देश में हर साल 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर पाया जाता है। एक साल पहले तक यह आंकड़ा इसका सिर्फ 5 फीसदी था। ब्रेन ट्यूमर फाउंडेशन आॅफ इंडिया के अनुसार यह ल्यूकेमिया के बाद बच्चों में दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है। पिट्यूइटरी, शरीर में बेहद महत्वपूर्ण ग्लैंड होती है और इसलिए अक्सर इसे मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद अन्य हॉर्मोन ग्रंथियों को भी नियंत्रित करती है।