हिमाचल : सुजानपुर एक वेटिंग CM को अपना प्रतिनिधि चुनता है या फिर पसंदीदा नेता को ?
सुजानपुर : भाजपा ने दो बार हिमाचल प्रदेश के सीएम रह चुके प्रेम कुमार धूमल का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित कर सुजानपुर सीट पर हवा का रुख भाजपा की तरफ मोड़ दिया है। सुजानपुर सीट भाजपा के लिए हमेशा मुश्किल रही है लेकिन इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता और उम्मीदवार रजिंदर सिंह राणा के लिए जीत हासिल करना कड़ी चुनौती बन चुका है।
धूमल ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में हमीरपुर से चुनाव लड़ा था। धूमल ने इससे पहले तीन चुनाव हमीरपुर जिले की बामसन सीट से लड़े थे। लेकिन अमित शाह की रणनीति के तहत उनका निर्वाचन क्षेत्र सुजानपुर कर दिया गया है। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक नरेंद्र ठाकुर को धूमल की जगह हमीरपुर से खड़ा किया गया है।
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धूमल को सुजानपुर भेजने के पीछे शाह का मकसद सुजानपुर सीट पर कब्जा जमाने का है जो हमेशा से भाजपा के लिए टेढ़ी खीर रही है। जबकि हमीरपुर को धूमल और भाजपा का गढ़ कहा जाता है।
कांग्रेस उम्मीदवार राणा 2014 से विधायक न होने के बावजूद इलाके में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। उन्हें इलाके में बड़े पैमाने पर मतदाताओं के बीच हर एक व्यक्ति के साथ बेहतर संबंध के लिए जाना जाता है। राणा ने 2014 के बाद कोई भी चुनाव नहीं जीता है। 9 नवंबर का चुनाव यह तय करेगा कि क्षेत्र की जनता यहां एक मुख्यमंत्री को अपना प्रतिनिधि चुनती है या फिर क्षेत्र के पसंदीदा नेता को।
सुजानपुर के एक दुकानदार सुनील कुमार मेहरा ने बताया, "राणा से स्थानीय लोग परिचित हैं। वह अच्छे और बुरे समय में लोगों से मिलते रहे हैं। वह लोगों की काफी मदद करते हैं। वह शादियों के दौरान परिवारों की मदद करते हैं। साथ ही, विधायक रहने के दौरान उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कई जरूरी काम किए जिसमें एसडीएम कार्यालय का निर्माण भी शामिल है।"
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सचुची गांव में मोबाइल की दुकान चलाने वाले गुलेर सिंह ने कहा कि स्थिति पहले 50-50 थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी द्वारा धूमल को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद दृश्य धूमल के पक्ष में बदल गया है। हालांकि राणा अपनी तरफ से कोई कसर छोड़ नहीं रहे हैं।
सुजानपुर निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर जिले में स्थित है और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिस पर धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर का कब्जा है।
2011 की जनगणना के मुताबिक, सुजानपुर की कुल आबादी 82,162 है। इसमें से 90.33 फीसदी आबादी ग्रामीण है और 9.67 फीसदी शहरी। क्षेत्र की कुल आबादी में अनुसूचित जाति का 24.17 फीसदी और अनूसूचित जनजाति का करीब 0.19 फीसदी हिस्सा है।
सुजानपुर विधानसभा में वर्तमान में 67,065 मतादाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे।
राणा एक जमाने में धूमल के करीबियों में शुमार थे। राणा धूमल के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। उन्होंने 2012 में टिकट न दिए जाने को लेकर बगावत कर दी थी और पार्टी से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने सुजानपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और भाजपा प्रत्याशी उर्मिल ठाकुर पर जीत दर्ज की थी।
बाद में राणा ने कांग्रेस का हाथ थामा और 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी विधानसभा सीट छोड़ दी जहां उन्हें अनुराग ठाकुर से हार का सामना करना पड़ा। सुजानपुर सीट पर हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने राणा की पत्नी अनीता राणा को चुनाव मैदान में खड़ा किया लेकिन उन्हें भाजपा के नरेंद्र ठाकुर ने 500 से ज्यादा मतों से शिकस्त दी।
नरेंद्र ठाकुर भाजपा के कद्दावर नेता जगदेव चंद के बेटे हैं और उन्होंने 2003 में भाजपा का साथ छोड़ दिया था। ठाकुर 2009 में धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। फिलहाल वह हमीरपुर से चुनाव मैदान में उतरे हैं।
राणा के स्थानीय लोगों से गहरे जुड़ाव और भाजपा उम्मीदवार पर बाहरी होने के आरोप के मद्देनजर धूमल ने वादा किया है कि वह सुजानपुर के लोगों के लिए यहां एक मुख्यमंत्री कैंप आफिस खोलेंगे। इसके अलावा धूमल ने सुजानपुर में मेडिकल कॉलेज की स्थापना का वादा किया है।
नामांकन दाखिल करने के बाद धूमल ने इलाके में सिर्फ एक जनसभा को संबोधित किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सुजानपुर में जनसभा कर भाजपा के लिए वोट करने की अपील की है।
धूमल के दोनों बेटे अनुराग ठाकुर और अरुण धूमल, पिता की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इस क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।
राणा अपने व्यक्तिगत संर्पकों और क्षेत्र में किए गए अपने काम पर निर्भर हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि अगर कांग्रेस जीतती है, तो वह उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं। लेकिन, रविवार को रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी।