हिंदुत्व को लेकर SC में सुनवाई, कई बुनियादी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की

Update:2016-10-21 02:49 IST

नई दिल्लीः करीब दो दशक पुराने हिंदुत्व संबंधी फैसले पर फिर से गौर कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कई बुनियादी सवाल उठाए। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने ये सवाल भी पूछा कि क्या कोई व्यक्ति सीमा पर मौतों का मुद्दा उठाकर एक विशेष दल के लिए वोट मांग सकता है।

जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) में राष्ट्रीय प्रतीक और राष्ट्रीय चिन्ह शब्दों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि किसी को चुनावों में वोट हासिल करने के लिए इनके इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती। बता दें कि साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को धर्म की जगह जीवन जीने की शैली माना था।

कोर्ट ने क्या कहा?

हिंदुत्व की व्याख्या को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान पीठ ने सवाल किया कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय चिन्ह के आधार पर वोट मांग सकता है और कह सकता है कि लोग सीमा पर मर रहे हैं, इसलिए किसी खास पार्टी के लिए वोट कीजिए। क्या इसे अनुमति दी जा सकती है? इस पीठ में जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एसए बोब्दे, जस्टिस एके गोयल, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल. नागेश्वर राव भी हैं।

पीठ ने और क्या सवाल उठाए?

पीठ ने एक काल्पनिक सवाल भी उठाया कि क्या एक सिख ग्रंथी किसी खास हिन्दू उम्मीदवार के लिए वोट मांग सकता है? क्या यह कहा जा सकता है कि यह अपील संबंधित प्रावधान से उलझती है? इस बीच, तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं तीस्ता सीतलवाड़, शमसुल इस्लाम और दिलीप मंडल ने राजनीति से धर्म को अलग करने की मांग को लेकर सुनवाई में हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर किया।

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