Tamil Nadu: तमिलनाडु में इंजीनियरिंग की एक लाख से ज्यादा सीटें खाली

Tamil Nadu: काउंसिलिंग में तमिलनाडु के कुल 443 में से 110 कॉलेज सिर्फ दस से कम सीटें भर पाए हैं। 30 अन्य कॉलेजों में एक भी सीट नहीं भर पाई है।;

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-08-24 13:43 IST
Tamil Nadu engineering seats vacant

Tamil Nadu engineering seats vacant  (photo: social media )

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Tamil Nadu News: इंजीनियरिंग की पढ़ाई की क्या स्थिति है ये तमिलनाडु इंजीनियरिंग एडमिशन काउंसलिंग से दिखाई देता है। यहां काउंसिलिंग के दूसरे दौर के पूरा होने के बाद भी एक लाख से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हैं।

काउंसिलिंग में तमिलनाडु के कुल 443 में से 110 कॉलेज सिर्फ दस से कम सीटें भर पाए हैं। 30 अन्य कॉलेजों में एक भी सीट नहीं भर पाई है।

चिंताजनक स्थिति

शिक्षाविदों ने स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि सिर्फ मुट्ठी भर छात्रों के नामांकन के साथ इन संस्थानों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना मुश्किल होगा।

अब तीसरे दौर की काउंसिलिंग

काउंसलिंग के दो दौर के अंत में -कुल 1,62,392 में से केवल 61,082 (37.6 फीसदी) सीटें भरी गई हैं। बाकी 1,01,310 सीटें तीसरे दौर के लिए उपलब्ध होंगी, जिसमें 93,000 से अधिक छात्र भाग लेंगे।

पिछले ट्रेंड से पता चला था कि इस शैक्षणिक वर्ष में लगभग 55,000 से 60,000 सीटें खाली रहेंगी। पिछले साल भी अन्ना यूनिवर्सिटी को कम नामांकन के कारण कुछ कॉलेज बंद करने पड़े थे।

कॉलेजों का बुरा हाल

इस साल कम से कम 197 कॉलेज अपनी 10 फीसदी सीटें भी नहीं भर पाए, जबकि सिर्फ़ 114 कॉलेज 50 फीसदी से ज़्यादा सीटें भरने में कामयाब रहे। इनमें से 57 कालेजों ने 80 फीसदी से ज़्यादा सीटें भरीं, जबकि 39 कॉलेजों में 90 फीसदी नामांकन हुआ।

सिर्फ़ चार संस्थान ही 100 फीसदी सीटें भरने में कामयाब रहे। ये हैं - सेंट्रल इलेक्ट्रो केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, एमआईटी कैंपस (अन्ना यूनिवर्सिटी), सीईजी कैंपस (अन्ना यूनिवर्सिटी) और स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग (बीप्लान के लिए)।

दिलचस्प बात यह है कि पहले दौर के 475 छात्रों को दूसरे दौर में आवंटन मिला, जो पिछले सालों के 200-250 से ज़्यादा है।

सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष भी छात्र मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग की अपेक्षा कंप्यूटर विज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ईसीई, आईटी जैसे पाठ्यक्रमों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिनकी मांग दूसरे दौर में कम हुई है।

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