देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय सैन्य अकादमी को आतंकी हमले की धमकी मिली है। वैसे, इससे पहले भी सैन्य अकादमी व सूबे के अन्य धार्मिक स्थलों को उड़ाने की धमकियां मिलती रही हैं। हिंदुओं के तीर्थस्थलों वाले इस राज्य पर आतंकवादी संगठनों की नजर वर्षो से रही है। प्रमुखत: यह राज्य आतंकवादियों के निशाने पर वर्ष 2009 से गिना जाने लगा है जब कुख्यात आतंकी रिचर्ड हेडली के देहरादून आने और दून व मसूरी नाम से मशहूर दो स्कूलों की रेकी करने की बात सामने आयी थी। देहरादून के इन स्कूलों में देश विदेश के प्रतिष्ठित घरानों के बच्चे पढ़ते हैं।
इसके अलावा 2016 के जनवरी महीने में हरिद्वार के रुडक़ी से आईएसआईएस से जुड़े चार आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद हरिद्वार के साथ देहरादून भी संवेदनशील माना जाने लगा है। 2016 में ही जौलीग्रांट एयरपोर्ट को भी उड़ाने की धमकी मिल चुकी है तो नाभा जेल ब्रेक के पूरी साजिश इसी राज्य की जमीन का इस्तेमाल कर तैयार की गई थी। बीते दिनों के पंजाब के चार मोस्ट वांटेड आतंकवादी भी देहरादून के कैंट के राजेंद्रनगर इलाके से पकड़े जा चुके हैं।
ताजा धमकी जिस समय आई है उससे ऐसा लग रहा है कि कहीं कोई साजिश तो नहीं चल रही है, बहरहाल इस धमकी ने खुफिया एजेंसियों को अलर्ट मोड में ला दिया है वह इनपुट के आधार पर गहरी छानबीन में जुट गई हैं। आतंकी संगठनों से जुड़े नावेद का नाम 2015 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में छिपे होने के मामले में आया था। इसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है। खुफिया तंत्र से मिले इनपुट के बाद और मार्च में उप राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए जिले के सभी प्रमुख स्थलों की सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है।
एसपी सिटी पीके राय ने कहा कि आइएमए के आसपास सत्यापन अभियान चलाया गया है, लेकिन अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।
भारत नेपाल सीमा पर ड्रग तस्करों व आतंकियों की सक्रियता के संकेत भी मिल रहे हैं। तस्करों व आतंकियों की बढ़ती हलचल को लेकर नैशनल इंटैलीजैंस एजैंसी (एन.आई.ए.) और ए.टी.एस. ने भारत सरकार को नेपाल बार्डर पर सक्रियता बढ़ाने को कहा है।
खुफिया एजैंसियों ने आतंकियों की गतिविधियों को पंजाब सहित छह राज्यों के लिए खतरा बताया है। खुफिया एजैंसियों की मानें तो भारत-नेपाल की सम्पूर्ण करीब 1757 किलोमीटर की खुली हुई लंबी सीमा भारत के लिए गंभीर खतरा बन गई है। नेपाल और भारत से लगी यह लंबी सीमा यू.पी., उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम को स्पर्श करती है। इस तरह की रिपोर्टे आती रही हैं कि नेपाल सीमा के दोनों ओर स्थित मस्जिद और मदरसे भारत विरोधी तत्वों के पनाहगाह बने हुए हैं। भारत-नेपाल के पारगमन संधि के तहत कुल 17 रास्ते ही आवागमन के लिए अधिकृत हैं। इसके अलावा सैंकड़ों ऐसे रास्ते हैं जो जंगल झाड़ी और नदी-नालों से होकर गुजरते हैं। यहां सुरक्षा का कोई बंदोबस्त भी नहीं है इसलिए ये रास्ते सुरक्षा एजैंसियों के लिए सदा चुनौती बने रहते हैं।
एन.आई.ए. ने शंका जाहिर की है कि खुली हुई नेपाल सीमा आने वाले दिनों में आतंकियों का बड़ा हब बन सकता है। लिहाजा समय रहते इसकी सुरक्षा समय की जरूरत है। पिछले साल 20 अप्रैल को दिल्ली, यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार और आंध्र प्रदेश की पुलिस ने संयुक्त अभियान में 10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस की पूछताछ में इनसे 6 राज्यों में आतंकी खतरे का खुलासा हुआ। इसी तरह 7 मार्च को लखनऊ में मारे गए एक आतंकी से कुछ दस्तावेज बरामद हुए थे, जिससे ए.टी.एस. को जानकारी मिली थी कि आई.एस. यू.पी., महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार में अपना नैटवर्क सक्रिय करने की फिराक में है।नेपाल को लेकर भारत की ताजा चिंता 5 फरवरी को काठमांडू में पाक दूतावास में मनाए गए कश्मीर डे को लेकर है। यह पहली बार हुआ जब काठमांडू में ऐसे कार्यक्रम नेपाल सरकार के संरक्षण में आयोजित हुए हों।