तवांग : अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शनिवार को कहा कि तिब्बती भारतीय नागरिकता की मांग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यहां भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की पांचवी बैठक में कहा, "वर्तमान में अरुणाचल में तिब्बत के लोगों की जनसंख्या 7,000 है, जोकि हर वर्ष घटती जा रही है। तिब्बत के बहुत से लोगों को विकसित देशों से रहने के बंदोबस्त और रोजगार के प्रस्ताव आ रहे हैं, जिसके कारण वे बस्तियों को छोड़कर जा रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि तिब्बती पुनर्वास नीति के जरिए केंद्र सरकार ने पूरे भारत में तिब्बती शरणाथिर्यों की बस्तियों में पानी, बिजली, सड़क और सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई है।
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पेमा ने कहा कि उनकी सरकार सभी स्वदेशी समुदायों और छात्र संगठनों से परामर्श करने के बाद ही इस नीति को स्वीकृति देगी।
विपक्षी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल और कांग्रेस समेत कुछ नागरिक समाज समूहों ने नीति को मंजूरी देने के राज्य मंत्रिपरिषद के 12 अगस्त के फैसले का विरोध किया है।
चाकमा-हजोंग शरणार्थी मुद्दे पर गड़बड़ी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए खांडू ने कहा, "राज्य में भाजपा की सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठा रही है।"
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इन शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के आदेश दिए हैं और 2,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
खांडू ने कहा, "इन शरणार्थियों की नागरिकता पर निर्णय लेने के लिए केंद्र सरकार है, लेकिन राज्य सरकार इनर लाइन परमिट के बिना उन्हें राज्य में अनुमति नहीं देना चाहती।"
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ²ढ़ है कि अरुणाचल के आदिवासियों को मिलने वाले भूमि अधिकार या कोई भी अधिकार इन शरणार्थियों को नहीं दिए जाएंगे।