पटना: बिहार के भागलपुर में अभी स्वयंसेवी संगठन सृजन महिला विकास समिति के सरकारी राशि गबन का मामला थमा भी नहीं था कि पटना में शौचालय बनाने के नाम पर स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) द्वारा 13 करोड़ रुपये की राशि के बंदरबांट का मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि पटना में शौचालय बनाने का पैसा लाभार्थियों को सीधे खाते में भेजने के बजाय लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने तीन स्वयंसेवी संस्थाओं के खाते में भेज दिया।
पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल ने बताया, "वित्त वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में शौचालय बनाने की राशि लाभार्थियों के बजाय सीधे एनजीओ के खाते में ट्रांसफर किया गया।" उन्होंने बताया कि 15 दिनों पूर्व विभागीय समीक्षा के दौरान यह वित्तीय अनियमतिता पकड़ी गई।
उन्होंने बताया, "इस मामले के प्रकाश में आने के बाद तत्काल पटना पीएचईडी (पूर्वी) के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता और वर्तमान में राज्य जल पर्षद के अधीक्षण अभियंता विनय कुमार सिन्हा के निलंबन का प्रस्ताव विभाग को भेज दिया गया है तथा लेखपाल विंदेश्वर प्रसाद सिंह को निलंबित कर दिया गया है। अब तक 13 करोड़ रुपये के गबन का मामला प्रकाश में आया है।"
उन्होंने बताया कि कार्यपालक अभियंता सिन्हा, लेखपाल और तीन एनजीओ के खिलाफ गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।
जिलाधिकारी ने कहा, "सरकारी राशि की रिकवरी के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कार्यपालक अभियंता, लेखपाल, सभी एनजीओ और निजी व्यक्तियों के खिलाफ नीलाम पत्र दायर करने का भी निर्देश दिया गया है। राशि नहीं लौटाने की स्थिति में सभी की संपत्ति जब्त की जाएगी।"
इधर, विपक्ष ने इस शौचालय घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तब एक बड़ा मामला सामने आएगा।
कांग्रेस के प्रेमचंद त्रिपाठी ने कहा कि सरकार का इकबाल समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार सुशासन की बात करते हैं, परंतु लगातार हो रहे घोटाले सही स्थिति बयां कर रहे हैं।
--आईएएनएस