उत्तराखंड: तबादला विधेयक पारित, बंद हो जाएंगी कार्मिकों के तबादले में सिफारिशें
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार (07 फरवरी) को स्थानांतरण विधेयक पारित हो गया। इस एक्ट के पारित होने के साथ ही अब राज्य में तबादलों में पारदर्शिता आएगी। कार्मिकों के तबादले में सिफारिशें बंद हो जाएंगी। यही नहीं दुर्गम क्षेत्र में लंबे समय से तैनात कार्मिकों को राहत मिलेगी।
स्थानांतरण विधेयक के मुताबिक, अब सुगम क्षेत्र में चार वर्ष या उससे अधिक समय से तैनात कार्मिक को दुर्गम इलाकों में अनिवार्य तौर पर जाना होगा। दुर्गम इलाकों में तीन वर्ष या उससे अधिक समय से तैनात कार्मिकों को अनिवार्य तौर पर सुगम क्षेत्र में लाया जाएगा। दुर्गम क्षेत्र में दस वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वालों को यह राहत अनिवार्य रूप से दी जाएगी। विधेयक पारित होने के बाद अब दस जून तक तबादले के आदेश जारी करने की अंतिम तिथि है। इसके साथ ही कार्मिक को दस दिन में नई जगह पर ड्यूटी के लिए जाना होगा।
तबादला विधेयक के मुख्य बिंदु:
-दुर्गम व सुगम कार्यस्थलों के निर्धारण का अधिकार हर विभाग या कार्यालय के अध्यक्ष को
-इन इलाकों का विवरण राज्य सरकार की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया जाएगा।
-हर विभाग में और मंडल में स्थायी स्थानांतरण समितियां भी गठित की जाएंगी।
-तबादलों के लिए सिफारिश या दबाव बनाने वाले कार्मिकों पर कार्रवाई का प्रावधान।
-स्थानांतरण विधेयक को लागू करने में असफल रहने या उल्लंघन में दंड का प्रावधान।
-पहली पदोन्नति और दूसरी पदोन्नति में भी दुर्गम इलाकों में जाना होगा।
-वार्षिक स्थानांतरण तीन तरह से होंगे। सुगम से दुर्गम और दुर्गम से सुगम में अनिवार्य और अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे।
-कार्मिकों की पद स्थापना के लिए तीन श्रेणियां तय की गई हैं। इनमें जिला मुख्यालय से ग्राम स्तर तक तैनाती, मंडल स्तर तक तैनाती और राज्यस्तरीय पदस्थाना शासन और विभागाध्यक्ष की ओर से की जाती है।
इन्हें मिलेगी छूट:
-जो कार्मिक दुर्गम क्षेत्र में न्यूनतम दस वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हैं या गंभीर रूप से रोगग्रस्त व विकलांगता की श्रेणी में आने वाले कार्मिक जो सक्षम प्राधिकारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे, उन्हें अनिवार्य तबादले से छूट मिलेगी।
-ऐसे पति-पत्नी जिनका इकलौता पुत्र या पुत्री विकलांगता की श्रेणी में हो उन्हें भी अनिवार्य तबादले में छूट मिलेगी।
-सैनिक और अर्द्ध सैनिक बलों में तैनात कार्मिकों के पति-पत्नी भी इस दायरे में शामिल होंगे।