Monkey pox: मंकीपॉक्स को लेकर LGBTQ समुदाय में क्यों है आक्रोश

Monkey pox: मंकीपॉक्स के मामले तेजी से दुनिया में बढ़ रहे हैं। भारत में भी गुरूवार को इसका पहला मामला विदेश से आए एक यात्री में दर्ज किया गया है।

Update: 2022-07-16 09:13 GMT

 मंकीपॉक्स को लेकर LGBTQ समुदाय में क्यों है आक्रोश: Photo - Social Media

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Monkeypox: कोरोनावायरस (coronavirus) के प्रकोप के बीच मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) ने लोगों और स्वास्थ्य संगठनों (health organizations) की चिंता बढ़ा दी है। मंकीपॉक्स के मामले तेजी से दुनिया में बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 63 देशों में इसके 9200 मामले सामने आ चुके हैं।

भारत में भी गुरूवार को इसका पहला मामला विदेश से आए एक यात्री में दर्ज किया गया है। इसके बाद से यहां भी सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरतने लगी है। विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए नई गाइडलाइन (new guideline) जारी कर दिए गए हैं।

मंकीपॉक्स वायरस को लेकर बहस

इन सबके बीच दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) को लेकर एक नई बहस भी शुरू हो गई है। दरअसल दुनिया में ये आम धारणा बन चुकी है कि LGBTQ समुदाय के लोग मंकीपॉक्स वायरस के स्प्रेडर हैं। इन्हीं की वजह से यह वायरस तेजी से फैल रहा है। LGBTQ समुदाय के लोग इससे बेहद आहत हैं और उनमें इसे लेकर आक्रोश भी है। इसके लिए डब्ल्यूएचओ के उस रिपोर्ट को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसमें कहा गया कि मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा शिकार वे पुरुष हो रहे हैं, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं।

डब्ल्यूएचओ ने बीते दिनों कहा था कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, अब तक प्रभावित होने वाले लगभग सभी रोगी पुरूष हैं, जिनकी औसत आयु 37 साल है, जिनमें से अधिकतर पुरूष पुरूषों के साथ यौन संबंध रखते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुखिया टेड्रोस एडनॉम ने कहा कि हम नागरिक समाज और LGBTQ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वायरस को अब एक स्टिगमा के रूप में देखा जा रहा है, जिसे रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ काम कर रहा है।

मंकीपॉक्स को लेकर एक विशेष समूह को टारगेट किया जा रहा है

वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मंकीपॉक्स को लेकर एक लोगों के एक विशेष समूह को टारगेट किए जाने को सही नहीं मानते हैं। हालांकि, वे डब्ल्यूएचओ से इसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) यानी यौन रोग घोषित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग कर रहे हैं। इंफेक्शन डिजीज विशेषज्ञ डॉ ईश्वर गिलाडा का कहना है कि मंकीपॉक्स 21वीं सदी का सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) है। उन्होंने कहा कि एचआईवी पुरूषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरूष आबादी के बीच शुरू हुआ मगर जल्द ही विषमलैंगिक में भी फैल गया। ऐसा ही मंकीपॉक्स के साथ हो रहा है।

क्या है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स बीमारी एक ऐसे वायरस के कारण होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। मंकीपॉक्स 1958 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद 1970 में यह अफ्रीका के 10 देशों में फैल गया था। इस साल यानी 2022 में इसका पहला केस ब्रिटेन में 6 मई को पाया गया, जिसके बाद इसका संक्रमण दुनिया के 60 से अधिक देशों में फैल गया। मंकीपॉक्स के सामान्य शुरूआती लक्षणों में तेज बुखार, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और शरीर पर चेचक जैसे दाने शामिल हैं।

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