नई दिल्ली: प्रत्यक्ष कर कानून में बदलाव के लिए गठित कार्यबल आयकर अधिनियम, 1961 का बारीकी से अध्ययन करेगा। वित्त सचिव हसमुख अधिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
कुछ चुने हुए संपादकों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा कि हालांकि पिछली सरकार द्वारा तैयार प्रत्यक्ष कर संहिता के कुछ अच्छे प्रावधान पहले ही आयकर अधिनियम में शामिल कर लिए गए हैं, लेकिन आयकर अधिनियम में पूर्ण बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी।
यह कार्यबल आयकर अधिनियम के एक-एक अध्याय को पढ़ेगी और बदलाव सुझाएगी। उन्होंने कहा, "मध्यम कर दरों के साथ हमें अध्याय 10 के तहत छूट और उससे संबंधित बहुत सारे प्रावधानों की आवश्यकता नहीं होगी।"
उन्होंने बताया कि इस बदलाव के बाद भी कानून को आयकर अधिनियम ही कहा जाएगा और इसका नाम बदल कर प्रत्यक्ष कर संहिता करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
इस कार्यबल का गठन गुरुवार को किया गया। सीबीडीटी के सदस्य (विधान) अरबिंद मोदी को कार्यबल का संयोजक बनाया गया है। सरकार ने 1 और 2 सितंबर को हुए राजस्व ज्ञान संगम के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 साल पहले बनाए गए आयकर अधिनियम को दुबारा से बनाने की जरूरत महसूस की है।
इसी के तहत इस अधिनियम की समीक्षा के लिए और देश की आर्थिक जरूरतों के अनुरूप नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार ने कार्यबल का गठन किया है।
इस कार्यबल में अरबिंद मोदी के अलावा चार्टड एकाउंटेंट और भारतीय स्टेट बैंक के गैर-अधिकारी निदेशक गिरिश आहूजा, अर्नेस्ट एंड यंग के क्षेत्रीय प्रबंधन भागीदार और अध्यक्ष राजीव मेमानी, कर अधिवक्ता (अहमदाबाद) मुकेश पटेल, आईसीआरआईईआर की सलाहकार मानसी केडिया और 1971 बैच के सेवानिवृत्त आईआरएस और वकील जी. सी. श्रीवास्तव को शामिल किया गया है।
--आईएएनएस