Lakhimpur Kheri news: सरकारी स्कूल की बदली सूरत, प्राइवेट को दे रहा टक्कर

Lakhimpur Kheri news: लखीमपुर खीरी के इसानगर ब्लॉक के बाढ़ प्रभावित छेत्र में सरकारी विद्यालय की पूरी रंगत ही बदल गयी है। यह सुविधाओं में किसी निजी स्कूल से कम नहीं है। उच्च सुविधाओं के साथ स्कूल में बढ़ी विद्यार्थियों की संख्या।

Update:2023-04-09 20:44 IST
लखीमपुर खीरी के सरकारी विद्यालय के नवीकरण के पश्चात छात्रों की संख्या में हुआ इजाफा

Lakhimpur Kheri news: जनपद के ईसानगर ब्लॉक में घाघरा नदी कटान और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में ब्लॉक संसाधन केंद्र से लगभग 20 किलोमीटर एक स्कूल है, जो सुविधाओं में किसी निजी स्कूल से कम नहीं है। शैक्षिक व आर्थिक रूप से यह गांव अत्यंत पिछड़ा हुआ है। कभी यह विद्यालय उबड़-खाबड़ एवं सौंदर्य विहीन था। अब इसकी रंगत बदल गई है।

हरियाली संग हुई बाउंड्री की व्यवस्था

कुछ वर्ष पूर्व तक इस विद्यालय प्रांगण में ब्राउंड्री तक नहीं थी। बाउंड्री विहीन विद्यालय को हरा भरा एवं आकर्षक बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था। किंतु योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर समस्त स्टॉफ ने विभिन्न पर्यावरणीय नवाचारों द्वारा विद्यालय के सौंदर्यीकरण का कार्य आरंभ किया। पौधरोपण किया गया, जो आज वृक्ष बन चुके हैं। हरी-भरी फील्ड बन गई है। स्कूल की रंगत बदलने पर यहां बच्चों के दाखिला का सिलसिला पहले की अपेक्षा ज्यादा हो गया है।

बनाई गई लाइब्रेरी, बढ़ी बच्चों की संख्या

बच्चों को पढ़ाई में असुविधा न हो इसके लिए इस स्कूल में पुस्तकालय की स्थापना की गई। इसके अलावा प्रधानाध्यापक देशराज पाल ने अपने स्टाफ के साथ योजना बनाकर प्रबंध समिति के सहयोग से प्रत्येक कक्ष को आकर्षक टीएलएम, लर्निंग कॉर्नर व स्मार्ट क्लास से युक्त बना दिया। यहां की शिक्षा प्रणाली ऐसी बनाई गई, जिसमें बच्चों के अलावा बातचीत व सुझाव के लिए अभिभावकों से लेकर प्रबंध समिति और ग्राम प्रधानों तक को सम्मिलित किया गया। ताकि वो पठन-पाठन से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय दे सकें और उसी आधार पर बच्चों की शिक्षा को दिशा दी जाए।

इसके अलावा स्कूल में बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों को आवंटित कर दिया गया। शिक्षक स्वनिर्मित टीएलएम, विज्ञान प्रयोगशाला एवं विभाग द्वारा प्रदत्त गणित व विज्ञान किट, सामाजिक विषय आदि का उपयोग कर पूर्ण बच्चों को होनहार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इन कवायदों का असर ये रहा कि अब इस सरकारी स्कूल की बेहतर दशा देखकर यहां गांव व आसपास के ज्यादातर अभिभावक प्राइवेट स्कूलों के बजाए यहां अपने बच्चों को भेजते हैं।

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