मुस्लिमों को एससी-एसटी का आरक्षण देने की मांग वाली याचिका HC में खारिज

Update: 2016-07-15 16:32 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिमों को भी हिंदुओं की तरह अनुसूचित जाति जनजाति (एससी-एसटी) का लाभ देने या हिंदू, सिक्ख, बौद्ध, जैन को अनुसूचित जाति जनजाति का आरक्षण रद्द करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 341 के पैरा तीन में मुस्लिमों को एससी का दर्जा दिए जाने से बाहर रखा गया है जो गलत है।

याची का कहना था कि केवल हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख और जैन धर्म की दलित और आदिवासी जातियों को अनुसूचित जाति जनजाति का दर्जा दिया जा रहा है वहीं मुसलमानों को इससे वंचित रखा गया है। इसी स्थिति में जीवनयापन कर रहे मुस्लिम जातियों को भी अनुसूचित जाति जनजाति में शामिल किया जाए। याची का कहना था कि धर्म के आधार पर भेदभाव करने पर संविधान में रोक है।

हिंदुओं को अनुसूचित जाति का आरक्षण देना और मुस्लिमों को न देना संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19 और 21 के उपबंधों के खिलाफ है। लेकिन कोर्ट ने याचिका को बलहीन मानते हुए खारिज कर दिया है।

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