नोएडा: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की 12वीं क्लास के रिजल्ट शनिवार को जारी कर दिए गए। ऑल इंडिया लेवल पर दिव्यांग कैटेगरी में नोएडा के रक्षित मलिक ने 97.4 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। नोएडा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल (सेक्टर-44) में पढ़ने वाले रक्षित मलिक का दिव्यांग श्रेणी में तीसरा स्थान है।
ये है बीमारी
-रक्षित को बचपन से ही मैकुलर डिजनरेशन नाम की बीमारी है।
-इस बीमारी में आंखों से कम दिखाई देता है।
-रक्षित के आंखों का विजन महज 10 फीसद है।
-यानी आम बच्चों की तुलना में वह सिर्फ 10 फीसद ही देख सकते हैं।
घटती चली गई आंखों की रोशनी
-रक्षित की मां रचना मलिक बताती हैं कि रक्षित बचपन से ही दिव्यांग है।
-उसके लिए ये कामयाबी इतनी आसान नहीं थी।
-उन्होंने बताया कि बचपन में तो रक्षित को पढ़ने में इतनी परेशानी नहीं होती थी।
-लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी क्लास में आते गए, उनकी आंखो की रोशनी भी कम होती चली गई।
-इससे रक्षित को देख पाने में परेशानी होती थी।
सीबीएसई टॉपर्स की लिस्ट
ऑल इंडिया टॉपर्स
-सुकृति गुप्ता (दिल्ली) - 497 (99.04%)
-पलक गोयल (कुरुक्षेत्र) - 496 (99.02%)
-सौम्या उप्पल (करनाल) - 495 (99.00%)
-अजिस सेकर (चेन्नई) - 495 (99.00%)
दिव्यांग टॉपर्स
-मुदिता जगोता (फरीदाबाद) - 485 (97.00%)
-सिद्धार्थ विश्वास (दिल्ली) - 484 (96.08%)
-रक्षित मलिक (नोएडा) - 482 (96.04%)
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बड़े फॉन्ट साइज में छपवाती थी बुक्स
-रचना मलिक ने बताया कि रक्षित को कम दिखाई देता था जिससे उसे बहुत तकलीफ होती थी।
-इसलिए वह रक्षित के लिए बड़े फॉन्ट साइज की बुक्स छपवाती थीं।
-पढ़ाई में बाधा न आए इसके लिए रक्षित को हाई रेजोल्यूशन ग्लासेज भी दिए गए।
-हर तरह के टेक्निकल सपोर्ट के बाद भी रक्षित को पढ़ने में आम बच्चों से ज्यादा समय लगता था।
-रचना बताती हैं कि जहां दूसरे बच्चे 6 से 8 घंटे पढ़ते हैं वहीं रक्षित को उतना ही पढ़ने में 10 से 12 घंटे लगते हैं।
हिस्ट्री आनर्स के बाद देश सेवा पहला विकल्प
-रक्षित भी इंटर के बाद अब हिस्ट्री ऑनर्स में आगे पढ़ना चाहते हैं।
-वहीं रचना मलिक का कहना है कि रक्षित को एक बार सिविल सर्विसेज के लिए ट्राय करना चाहिए।
-रक्षित ने बताया कि वह भी इसके इच्छुक हैं। वह एक बार प्रयास जरूर करेंगे।
-रक्षित के पिता का इलेक्ट्रानिक्स का बिजनेस है।
एक्जाम में रक्षा ने लिखी रक्षित की कॉपी
-रक्षित को देखने में परेशानी है इसके लिए सीबीएसई की तरफ से उन्हें विशेष छूट दी गई थी।
-रक्षित आंसर बोलते थे और रक्षा नाम की उनकी साथी आंसर को लिखती थी।
-रचना बताती हैं कि रचित के एग्जाम के लिए सीबीएसई से अलग से परमीशन ली गई थी।
-रक्षित को एक्स्ट्रा टाइम भी दिया जाता था।
सबका मिला सपोर्ट
-रचना मलिक ने बताया कि हमें बचपन से ही स्कूल और घर में बहुत अच्छा माहौल मिला।
-टीचर्स हों या रिश्तेदार सभी ने पूरा सहयोग किया।