मुंबई : ईवीएम को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बंबई हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय निर्वाचन आयोग, महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग और ईवीएम बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों व अन्य को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट में यह याचिका एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा दाखिल की गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन एस. रॉय द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति एस. एस. केमकर और न्यायमूर्ति एस. वी. कोटवल ने निर्वाचन आयोग के अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और महाराष्ट्र सरकार को भी नोटिस भेजा है। अदालत ने ईवीएम विनिर्माता कंपनी इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को भी नोटिस भेजा गया है।
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रॉय के वकील पी. पवार के अनुसार, मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद हो सकती है।
याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग और विभिन्न राज्यों के निर्वाचन आयोगों द्वारा दिए गए ईवीएम और वीवीपैट के ऑर्डर और दोनों कंपनियों द्वारा की गई आपूर्ति के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी को उजागर किया है।
रॉय द्वारा हाल ही में सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में यह प्रकाश में आया है कि बेंगलुरु स्थित बीईएल ने भारी तादाद में ईवीएम हाथोंहाथ डिलीवरी और डाक के माध्यम से अज्ञात लोगों को भेजा है।
आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी के बदले राय को जो जवाब मिला है उसके अनुसार बीईएल ने मशीनों की 820 मतदान इकाइयां (बीयू) भेजी थीं। इसके अलावा अप्रैल 2017 में दो बार इसने 245 वीवीपैट कुछ प्राप्तकर्ताओं को सौंपा।
रॉय ने कहा कि बीईएल ने यह नहीं बताया कि दोनों अवसरों पर इसने बीयू किसको भेजा या कहां से वीवीपैट भेजा गया और क्या प्राप्तकर्ता ने उसे सुरक्षित प्राप्त किया।
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रॉय ने कहा कि 820 बीयू की पूरी खेप डाक के माध्यम से भेजा गया और कुल प्रेषित माल के लिए सिर्फ नौ नाम पत्र की संख्या दर्ज की गई। प्रेषित माल 50 बीयू के दो बक्से और 60, 70, 80, 90, 100, 110 और 210 बीयू के एक-एक बक्से में भेजे गए।
रॉय ने कहा, "यह भ्रामक सूचना है क्योंकि हरेक बक्से का एक विशेष आकार होता है जो बीयू की माप पर निर्भर करता है। बीईएल के जवाब से जाहिर होता है कि पूरा प्रेषित माल नौ बक्से में भेजा गया, जबकि भारतीय डाक न तो इतना बड़ा पार्सल स्वीकार करता है और न ही इसके संचालन के लिए सक्षम है।"