शारिब जाफरी
लखनऊ: यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के क़रीब पी.इ.टी.एन. बरामद होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। दुनिया के 5 खतरनाक विस्फोटकों में शुमार पी.इ.टी.एन की बरामदगी के बाद पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है।
एटीएस के साथ एनआईए की टीम ने विधानसभा पहुंचकर कर शुरुआती जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी समस्या सीसीटीवी लगे होने के बावजूद फुटेज का नहीं मिलना है। ऐसा संभव भी नहीं है क्योंकि यहां लगे कैमरे केवल विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ही चलाए जाते हैं।
सिर्फ कार्यवाही के दौरान चलती है सीसीटीवी
विधानसभा के अंदर विस्फोटक बरामद होने के बाद एटीएस और एनआईए की टीम ने विधानसभा पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। एनआईए की टीम ने विधानसभा में लगे सीसीटीवी की मदद से विस्फोटक पदार्थ रखने वाले की पहचान करने की कोशिश की, जिसमें कामयाबी हाथ नहीं लगी। इसकी वजह यह सामने आई है कि सीसीटीवी सिर्फ विधानसभा कार्यवाही के दौरान ही चलाए जाते हैं। इन परिस्थितियों में जांच एजेंसियों को कोई सबूत हाथ नहीं लगे हैं। जांच टीम से जुड़े एक अफसर ने बताया कि सीसीटीवी जब चालू हुआ है तब उस में पूर्व कैबिनेट मंत्री व सपा विधायक मनोज पांडेय विस्फोटक पदार्थ के पास बैठे नज़र आ रहे हैं।
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कौन-कौन पहुंच सकता है विधानसभा के अंदर तक
विधानसभा की कार्रवाई के दौरान माननीयों के अलावा सफाई कर्मी, मार्शल और प्रोटोकॉल अधिकारी ही अंदर तक पहुंच सकते हैं। जबकि विधानसभा में दाखिल होने से पहले गैलरी में सादे कपड़ों में फ़ोर्स तैनात रहती है। लेकिन फ़ोर्स के जवान विधानसभा के अंदर नहीं जा सकते। साफ़-सफाई और चेकिंग के बाद माननीयों की इंट्री शुरू होती है और विधानसभा में लगे सीसीटीवी चालू किए जाते हैं। पूर्व में भी विधानसभा में हंगामे हुए तो मार्शल की मदद से ही हंगामा करने वाले विधायकों को विधानसभा से बाहर निकाला गया था।
विधानसभा की कैंटीन चला रहा प्राइवेट ठेकेदार
यूपी विधानसभा में माननीयों के लिए बने कैंटीन को एक प्राइवेट ठेकेदार के हवाले कर दिया गया है। अखिलेश राज में कैंटीन के निजीकरण के बाद से खाने की ख़राब क्वालिटी के साथ महंगा खाना भी माननीयों को परेशान कर रहा है।