वाराणसी: गंगा दशहरा हिंदुओं का बड़ा त्योहार है । ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा कहते हैं। इस दिन स्नान, दान और व्रत का महत्व होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी संवत्सरमुखी है। इसमें स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के 10 पापों से छूट जाता है।
पुराणों में कहा गया है की जो भी भक्त इस दिन इस गंगा की अविरल धारा में डुबकी लगता है उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है और इसी आस्था के साथ वाराणसी के दशाश्वमेघ घाट पर देश के कोने-कोने से आए हुए भक्तों ने सुबह की पहली किरण के साथ गंगा में डुबकी लगाई।
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गंगा दशहरा का महत्व
पुरोहित आचार्य नरेंद्र शास्त्री ने बताया कि मान्यता के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने मात्र से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आज के दिन गंगा स्नान करने मात्र से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते है। रामचरित मानस में लिखा है की दशमी के दिन गंगा में मज्जन पान करने मात्र से सभी इच्छित कार्य पूरे होते है तो उसके पितरों तक को मुक्ति मिल जाती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी को मां गंगा का अवतरण हुआ था। वो इसी दिन भगवान भोले की जटाओं से मुक्त होकर पृथ्वी में जन कल्याणार्थ प्रकट हुई। इस कारण आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त काल से ही भक्त आस्था की डुबकी लगाने लगते है।