लखनऊ : जीएसटी कार्यशाला में हसमुख अढिया ने उठाया अफवाहों से पर्दा

Update:2017-06-13 17:19 IST

लखनऊ : देश में एक जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने में जुटी केंद्र सरकार अब जमीनी स्तर पर इसकी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लग गई है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के सचिव हसमुख अढिया मंगलवार को उत्तर प्रदेश में जीएसटी की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे।

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इस बैठक में केंद्र एवं सीमा शुल्क के केंद्र और राज्य के अधिकारी मौजूद हैं, अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर और मनोरंजन कर ने कहा कि लखनऊ के अलावा प्रदेश के जिलों में 500 से ज्यादा गोष्ठी की। बिल संसद और यूपी विधानसभा और विधान परिषद में पास हुआ।

यह व्यापार और राजनीतिकों के हित में।

अगर खामी होती तो कहीं न कहीं से आवाज आती।

रेस्तरां को 5 प्रतिशत की दर से टैक्स देना है।

सब ऑनलाइन होना है, किसी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं।

इससे लाभ यह होने वाला है, कि सभी वस्तुओं के कर में कमी होगी।

उपभोक्ताओं के आम उपयोग की वस्तुओं पर कर की दरों में और कमी की गई है।

हसमुख अढिया ने व्यापारियों के सवाल सुनने के बाद कहा, कि जीएसटी एक नई टैक्स प्रणाली है। सबके मन में शंका और आशंका है। जिसके बारे में हम नही जानते।

20 लाख से 75 लाख तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को टोटल टर्नओवर पर 1 फीसदी टैक्स भरना है। ट्रेडर्स को यह भी हर महीने नही बल्कि तीन महीने पर रिटर्न भरना है। टर्नओवर की डिटेल देनी है।

अगर आप छोटा उद्योग चला रहे है, तो आप 2 फीसदी टैक्स केटेगरी में आते है।

अगर आप 75 लाख से ऊपर है, और आप बी टू सी हैं, तो हर तीन महीने पर टर्नओवर बताना है।

अगर आप बी टू बी यानी बिजनेस टू बिजनेस हैं। तो आपको हर महीने इनवॉइस वाइज बिक्री देनी है।

जीएसटी में तीन नहीं एक रिटर्न भरना है। महीने की दस तारीख को डिटेल देनी है।

उन्होंने बताया, जिसने आप से माल खरीद हो और अपनी डिटेल कंप्यूटर में डालना भूल गए हैं, अगर 9 से कपड़े ख़रीदे हैं और एक डालना भूल गए हैं, अगर आप एक बिल डालते हैं तो हम लेंगे।

टैक्स डिपार्टमेंट के व्यक्ति से सीधी बात ही नही हो, यह ऐसा सिस्टम बना रहे हैं। व्यापारियों को कोई परेशानी न हो। ट्रांसपेरेंसी लाने का प्रयास है।

अढिया ने कहा अगर आपको जीएसटी में माइग्रेशन करना है, तो 1 से 15 जून तक का समय दिया है। अब रजिस्ट्रेशन के लिए कोई वन टाइम पासवर्ड की जरूरत नही पड़ेगी। एक्स्ट्रा वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं है।

30 जून को जो स्टॉक पड़ा है, उसका क्रेडिट तब देंगे जब वह पुराने सर्विस या अन्य टैक्स रजिस्ट्रेशन से माइग्रेशन किया गया है, तभी आपको उसका लाभ मिलेगा।

माइग्रेशन कोई जटिल काम नही है। पैन नंबर और पता डालना है बस। आप खुद कर सकते हैं। कुछ सीए कह रहे हैं, कि वह एक बार व्यापारी से मिलने के बाद आईडी और पासवर्ड नही देंगे। ऐसे लोगो से अपील वह अपने क्लाइंट को आईडी पासवर्ड वापस कर दें।

वन टैक्स वन ट्रेड, क्या हमारे यहां संभव है। बिग बाजार में जहां गेंहू, स्लीपर और एयर कंडीशनर बिक रहे हैं, क्या उनसे एक टैक्स 18 प्रतिशत कर दें। गरीबों का क्या होगा। देश में 24 लाख ऐसे लोग है जो 10 लाख से ज्यादा इनकम दिख रहे हैं इनमें से 60 फीसदी सैलरी वाले हैं। बाकी लोग कहाँ गए।

28 प्रतिशत वाले आइटम ऐसे हैं, जिन पर 29 से 30 प्रतिशत टैक्स है। ग्राहकों को जागरूक करना पड़ेगा, अगर आपने फ्लैट बुक किया है तो 4.5 प्रतिशत सर्विस टैक्स और यूपी का टैक्स 2 फीसदी है यानी 6.5 फीसदी।

अब इसका टैक्स 12 फीसदी होगा। उसने जो आइटम लगाया है। उसमें जो टैक्स लगता है। वह आपको पास ऑन करना पड़ेगा। उसे इनपुट टैक्स श्रेणी का इतना फायदा मिलेगा की उसे आपको साढ़े चार फीसदी टैक्स वापस कर देना चाहिए।

बिल्डर यह अफवाह फैला रहे हैं, कि अगर आप बाद में पेमेंट करते हो तो आपको 12 फीसदी और पेमेंट काटना होगा। इससे सावधान रहिये। ऐसा नही है।

जीएसटी में मंडी टैक्स यूजर चार्ज है। हर एक राज्य में अलग है। यह टैक्स नहीं है। इसलिए इसे मर्ज नही कर सकते।

अगर आप आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक डॉक्टर हैं, और आप 20 लाख तक दवा सालाना देते हैं, तो टैक्स नहीं है। प्रोफेशन पर कोई टैक्स नहीं।

रेस्तरां के अलावा और किसी भी सर्विस के लिए कम्पोजीशन श्रेणी में नही आते हैं। एमआरपी बेस्ड खत्म हो गया है। जितना पैसा ग्राहक से लिया उस पर टैक्स देना है।

ट्रैक्टर पर 12 प्रतिशत और उसके पार्ट पर 18 प्रतिशत चार्ज है। अढिया ने कहा कि कच्चे माल पर अगर टैक्स प्रोडक्ट से ज्यादा है तो वह वापस हो जाएगा।

वहीँ व्यापार मंडल के अमर नाथ मिश्रा ने कहा, कि अधिकारी सवालों से बचकर भाग गए। लगता है अढिया जी हाईसोसाइटी के हैं। टेक्निकल सवालों का जवाब देने में वह असफल रहें। मुझे पता नहीं कैसे उन्हें जीएसटी कौंसिल का सचिव बना दिया है।

सरकार की तैयारी अभी पूरी नही है। इसमें व्यापारी, कर्मचारी और अधिकारी सब संकट में पड़ जाएंगे। इसको लागू करना संभव नही।

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