Sadhu Baba Magic Mystery: क्यों चर्चाओं का केन्द्र बने साधु-बाबा-सरकार, भीड़ को धर्म नहीं, मायने रखता है चमत्कार
Indian Sadhu Baba Magic Mystery: बता दें कि दिव्य ज्ञान का अर्थ है जिस चराचर सृष्टि को हम अज्ञान के कारण संसार माया मिथ्या व विनाशी देख रहे थे वह यथार्थ में विश्वरूप परमात्मा के रूप में दिखने लगता है।
Indian Sadhu Baba Magic Mystery: धर्म , भीड़ और चमत्कार, आज धर्म और उसमें छिपे ज्ञान की शक्ति पर सवाल उठाये जा रहे है, लेकिन जिस शक्ति को लेकर हम सब न चाहते हुए आशक्त हो जाते है और खींचे चले जाते है। वो शक्ति साधु-संतों सन्यासियों में आदिकाल से देखी जा रही है। आजकल भी कई धर्माचार्य अपनी दिव्य शक्ति से लोगों खींचत है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या हैं ये दिव्य ज्ञान क्या होता है दिव्य ज्ञान।
तो बता दें कि दिव्य ज्ञान का अर्थ है जिस चराचर सृष्टि को हम अज्ञान के कारण संसार माया मिथ्या व विनाशी देख रहे थे वह यथार्थ में विश्वरूप परमात्मा के रूप में दिखने लगता है। दिव्य ज्ञान का अर्थ है जिस चराचर सृष्टि को हम अज्ञान के कारण संसार माया मिथ्या व विनाशी देख रहे थे वह यथार्थ में विश्वरूप परमात्मा के रूप में दिखने लगता है ।इसे प्राप्त करने के लिए दिव्य ज्ञान के लिए मन को एकाग्र करके पाया जा सकता है।
दुनिया में दो तरीके से धर्म के अनुयायी आध्यात्म को प्रसारित कर रहे हैं। एक तरीका सदियों पुराना है जहां धर्माचार्य अपने अनुयायी से केवल सशरीर संवाद करते हैं, बीच में कोई गतिरोध नहीं होता है। दूसरा तरीका है आज के समय में प्रचार के सशक्त माध्यम को प्रयोग में लाने का जिनमें फेसबुक, यूट्यूब, वाट्सअप जैसे संचार के प्लेटफार्म उपलब्ध है। इन प्लेटफार्म का कार्य इतना सशक्त होता है कि ये देश-दुनिया के किसी भी व्यक्ति को उसकी पसंद के आधार पर सूचना-सामग्री (content) उपलब्ध करवाते हैं। Artificial Intelligence (AI) इसमें भी एक प्रमुख कार्य करता है।
चमत्कार के पीछे हनुमानजी की कृपा
आज के सूचना-क्रांति के दौर में चाहे टीवी पत्रकारिता और या फिर डिजीटल मीडिया का प्लेटफार्म, इसमें एक बार फिर धर्म या चमत्कार का बोलबाला दिख रहा है। इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा मध्यप्रदेश, छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री की है जोकि व्यक्ति के भूत-भविष्य को कागज पर लिखने का दावा करते हैं। इस दावे के लिए वह हनुमानजी की कृपा को कारण बताते हैं। दावा चमत्कार में तब तब्दील हो जाता है जब बड़ी-छोटी स्क्रीनस् पर अनुयायी खुश होते, रोते हुए और धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की हां में हां मिलाते भी दिख जाते हैं। बागेश्वर धाम की तरह ही मध्यप्रदेश के पंडोखर महाराज (गुरुशरण महाराज) भी हनुमानजी की कृपा से व्यक्ति के भूत-भविष्य को बताने का दावा करते हैं। ये भी अपने चमत्कार के पीछे हनुमानजी की कृपा बताते हैं।
सीधा साधा 'मानव कल्याण' का मंत्र
इन दोनों ही चमत्कारी धामों के लाखों अनुयायी हैं जिनको हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यूट्यूब, फेसबुक या फिर अन्य माध्यमों पर न चाहते हुए भी देखते हैं। न्यूज चैनलों पर तो यह मुख्य धारा का विषय बन गया है। इन दोनों साधुओं के बीच मध्यप्रदेश के खरगोन जिला में भट्यान गांव के पास 100 साल से भी अधिक आयु के एक साधु रहते हैं जिनका नाम सियाराम बाबा है। यह पूरे दिन में 21 घंटे रामचरितमानस का पाठ करते हैं और अपने श्रद्धालु भक्तों से ईश्वरीय कृपा के लिए संक्षिप्त चर्चा ही करते हैं। एक लंगोट में रहने वाले सियाराम बाबा की चर्चा कम होती है क्योंकि चमत्कार से ज्यादा वह सिर्फ ईश्वरीय प्रारब्ध और इच्छा का सीधा साधा 'मानव कल्याण' का मंत्र देते हैं।
पहले भी कई धर्मावलंबियों ने दिखाए है चमत्कार
चमत्कारी विषयों में कानुपर के करौली के डॉ. संतोष सिंह भदौरिया का आश्रम भी चर्चा में है। करौली सरकार के नाम से प्रसिद्ध डॉ. संतोष फेसबुक, यूट्यूब पर काफी प्रसिद्ध हो रहे हैं। इन्होंने करीब 3 साल पहले दरबार लगाना शुरू किया है और इनके भक्तों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। यह भी सूक्ष्म जगत में 'बैंलेस' कर चमत्कार करने का दावा करते हैं। वीडियो में डॉ. संतोष ये बताते दिखते हैं कि अंधविश्वास नहीं करना चाहिए लेकिन स्वयं के द्वारा वैज्ञानिक कारणों को झुठलाने के साथ, अपने नवीन तरीकों से व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का कार्य करते हुए दिखते हैं।
वहीं राजस्थान में यूट्यूब पर इस समय कंबल वाले बाबा भी चर्चा है जोकि हड्डी के पुराने से पुराने रोग को अपनी अनूठी कला से ठीक कर रहे हैं। भारत सदैव से साधु-सन्यासियों की भूमि माना गया है। आध्यात्मिक ज्ञान के साथ चिंतन का आधार यह भूमि रही है। बागेश्वर धाम, पंडोखर सरकार, करौली सरकार के साथ कई अन्य बाबाओं की शुरूआत धीमी ही रहती है लेकिन आस्था तब हावी होती दिखती है जब टीवी चैनलों के साथ अन्य प्रसार के माध्यमों पर इन बाबाओं के भक्तों की संख्या लाखों में होने लगती है और इनके जीवन में धन की बारिश प्रारम्भ हो जाती है।
डिजीटल क्रांति से पहले टीवी चैनलों की ही देन आसाराम, निर्मल बाबा, जाकिर नईक भी थे, जो धीरे धीरे टीवी को ही अपने प्रचार के लिये इस्तेमाल करने लगे। इसके अलावा इसाई धर्मगुरूओं के वीडियोज् में भी Holy Water या फिर पवित्र चीजों से चमत्कार से हिलते हुए व्यक्ति, चिल्लाती भीड़ और ठीक होते लोग भी दिख जाते हैं। इन सभी बाबा-गुरू की संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है और धन की अकूत सम्पदा इनके पास मौजूद है। टीवी पर जब इनके विरूद्ध न्यूज के माध्यम से पोल खोलना शुरू किया जो इन बड़े बड़े साधुओं की दुकानें बंद हुईं।
सूचना क्रांति अभी अपने शैशवकाल में हैं लेकिन इसकी शक्ति आपार है। यह किसी भी साधारण व्यक्ति को रातों-रात प्रसिद्धि दिला सकती है। सूचना के प्रसारित करने वाले माध्यमों के लिए यह आवश्यक है कि वह कुछ सूचना के लिए गलत तरीके से सिर्फ लाभ के लिए इस्तेमाल न किये जायें। टीवी के बाद अगर डिजीटल प्लेटफार्म इसको नहीं रोकता है तो यकीन मानिए रोज एक नए बाबा का जन्म होने लगेगा। इन साधु-बाबा-सरकार की संज्ञा वाले व्यक्तियों के पुराने दस्तावेजों को देखेंगे तो मालूम चल जायेगा कि पहले सिर्फ गरीबों के लिए निशुल्क कार्य करने वाले ये लोग प्रसिद्धि के बाद अपने साक्षात्कार की एक फीस तय कर लेते हैं जिनको देना गरीब के लिए मुश्किल हो जाता है।
भीड़ चमत्कार देखने ही आती है जोकि हिन्दू, मुस्लिम व ईसाई जैसे धर्मों में आम बात है। अगर आप गौर भी करें तो इस भीड़ में से कुछ मुठ्ठी भर लोग ही बाबाओं की कृपा के पात्र बन पातें हैं, बाकि आस्था विश्वास के नाम पर स्वयं और परिवार के साथ भीड़ का हिस्सा बन कर उनके पंडालों की शोभा पाते हैं या फिर यूट्यूब, फेसबुक पर उनके Views को बढ़वाकर खुश होते हैं।