क्या है 15 फाइलों का रहस्य, यही 15 फाइलें बन गयी हैं CBI खनन घोटाले में जांच की फांस
प्रदेश में खनन मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम के लिए 15 फाइलें परेशानी का सबब बन गयी हैं। यह फाइलें सीबीआई के हाथ लग ही नहीं रही हैं, जबकि कार्यालय के दस्तावेज में बाकयदा लिखत-पढ़त में ये फाइलें खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के पास गई हैं।
लखनऊ। प्रदेश में खनन मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम के लिए 15 फाइलें परेशानी का सबब बन गयी हैं। यह फाइलें सीबीआई के हाथ लग ही नहीं रही हैं, जबकि कार्यालय के दस्तावेज में बाकयदा लिखत-पढ़त में ये फाइलें खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के पास गई हैं।
सीबीआई की परेशानी यह है, कि इन फाइलों का कोई भी वास्ता गायत्री प्रजापति के खनन मंत्री के कार्यकाल से नहीं जुड़ा है, फिर भी ये फाइलें गायत्री प्रजापति क्यों लेकर गये। हालांकि हाल फिलहाल खनन मामली की की जांच कर रही सीबीआई टीम के हाथ गायत्री प्रजापति तक पहुंचने में काफी देर है।
जो पंद्रह फाइलें सीबीआई की परेशानी का सबब हैं वह गायत्री प्रजापति के पूर्ववर्ती खनन मंत्री के कार्यकाल की हैं। इन फाइलों को खनन मंत्री बनते ही गायत्री प्रजापति ने तलब कर लिया था। इन फाइलों का रिश्ता उन्हीं 14 जिलों से है जिनकी जांच सीबीआई कर रही है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास सरकार के शुरुआती 16 महीने तक खनन का विभाग था। उस समय गायत्री प्रजापति उसी विभाग में राज्यमंत्री थे। पर उनकी चलती नहीं थी। बाद में उन्होंने तत्कालीन पार्टी सुप्रीमो को खुश कर जब राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का ओहदा हासिल किया तो उनकी नज़र सबसे पहले उन्हीं 15 फाइलों पर गयीं। ये वे फाइलें थीं जिनमें तत्कालीन खनन मंत्री के आदेश से महत्वपूर्ण पट्टे दिये गये थे।
मायावती के मुख्यमंत्री के तौर पहले कार्यकाल से ही मुख्यमंत्री सचिवालय में यह चलन तेज हुआ कि मुख्यमंत्री की जगह उनके अधिकारी दस्तखत करने लगे। वे सिर्फ यह लिखते थे मुख्यमंत्री अवगत हुए। ताज कारिडोर मामले में यह चलन बचने के लिए मायावती के काम आया। लेकिन खनन के इन पट्टों के मामले में अखिलेश यादव के सचिवालय के किसी भी अफसर ने दस्तखत करने की जगह खनन मंत्री से दस्तखत करा लिया।
गायत्री प्रजापति के लिए उस विभाग में इन फाइलों के मार्फत पट्टा पाए आवंटी ज्यादा मलाईदार थे। नतीजतन, उनके लिए इस विभाग में अपना धन भी बढ़ाने का अचूक और अनिवार्य नुस्खा रहा। भरोसेमंद सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री सचिवालय ने इन फाइलों को लेने की जितनी कोशिश की वे फाइलें उससे उतनी दूर होती चली गयीं। खनन विभाग ने उन फाइलों को कहां रखा कि आज भी वे सीबीआई से उतनी ही दूर हैं।