एक देश-एक चुनाव: सहमति, असहमति के बीच अटकलें तेज, सकते में विपक्ष

Update:2018-01-31 13:47 IST
'एक देश-एक चुनाव': सहमति, असहमति के बीच अटकलें तेज, सकते में विपक्ष

संजय तिवारी

लखनऊ: 'एक देश-एक चुनाव' की दिशा में बढ़ रहे सरकारी क़दमों ने विपक्ष को सकते में डाल दिया है। सहमति-असहमति के बीच अटकलों का बाज़ार गर्म है। पीएम नरेंद्र मोदी कई मंचों से कह चुके हैं वह देश में एक चुनाव चाहते हैं। उनका सिद्धांत है 'एक राष्ट्र एक चुनाव'। प्रधानमंत्री ने कई मौको पर साफ किया है कि वह चाहते हैं कि राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ हों ताकि देश में काफी पैसे और ऊर्जा को बचाया जा सके। प्रधानमंत्री की इस मंशा पर राष्ट्रपति द्वारा मुहर लगा दिए जाने के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल बहुत तेज हो गई है। विपक्ष इस योजना पर अमल के लिए तैयार नहीं दिख रहा।

विपक्ष का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो देश प्रेसिडेंशियल प्रणाली की तरफ चला जाएगा और लोकतंत्र के लिए संकट उत्पन्न हो जाएगा। प्रधानमंत्री का मानना है कि प्रत्येक चुनाव में तमाम तरह से लोगों और संसाधनों का प्रयोग होता है। इस दौरान चुनाव आयोग कई सरकारी कर्मचारियों का प्रयोग करता है और चुनाव में खर्चा काफी आता है।

लोकसभा चुनाव इसी साल के अंत में!

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बात रखते हुए एनडीए की बैठक में भी ऐसा ही कहा। इससे पहले दिन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र के दौरान अभिभाषण में भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कहा है, कि सभी चुनाव एक साथ ही होने चाहिए। इसी के बाद से यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि इस साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के चुनाव के साथ ही लोकसभा का चुनाव करवा दिया जाएगा। इसके लिए लोकसभा को जल्द भंग किया जा सकता है और इतना ही नहीं कुछ अन्य राज्य जिनके चुनाव अगले साल होने हैं उन राज्यों के चुनाव भी साथ में कराए जा सकते हैं। कुल मिलाकर 10 राज्यों के चुनाव होने हैं और इनको लोकसभा के चुनाव के साथ ही कराया जा सकता है।

विपक्ष के गले नहीं उतर रहा

उधर, प्रधानमंत्री का यह प्लान विपक्ष के गले नहीं उतर रहा है। विपक्ष का यह मानना है कि अगर एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हु ए तो भारतीय लोकतंत्र काफी हद तक संसदीय लोकतंत्र की जगह अध्यक्षीय (प्रेजिडेंशल) प्रणाली का चुनाव हो जाएगा। ऐसी स्थिति में सरकार के खिलाफ ऐंटी इनकम्बेंसी का फायदा विपक्ष को नहीं मिल सकता है। विपक्षी नेताओं का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए तो देश के साथ राज्यों में भी पीएम मोदी की लोकप्रियता का फायदा बीजेपी को मिलेगा।

मोदी सरकार का कार्यकाल अगले साल मई तक

उल्लेखनीय है, कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का कार्यकाल अगले साल मई तक है और इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव यदि पहले कराए जाते हैं तब ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव को भी जल्दी कराया जा सकता है। यहां से यह साफ लगाने लगा है कि करीब 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा के चुनाव साथ में कराए जा सकते हैं।

यहां से आया ये विचार

दरअसल, एक साथ चुनाव कराने का विचार नीति आयोग की एक रिपोर्ट से निकला है। इसमें कहा गया था कि 2021 तक हर चार महीनों में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होगा। नीति आयोग का कहना था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने से सरकारी कामकाज में रुकावट आती है। साथ ही, चुनाव पर भारी खर्च होता है। आयोग का कहना है कि अगर सभी राजनीतिक दल सहमत हों तो एक साथ चुनाव कराने को लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। हालांकि, कई राजनीतिक दल एक साथ चुनाव कराने के खिलाफ हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई (एम), एनसीपी और नीतीश कुमार की जेडी (यू) शामिल हैं।

चुनाव आयोग तैयार

दूसरी तरफ, चुनाव आयोग का कहना है कि यदि चुनाव एक साथ कराने पड़ेंगे तो वह इसके लिए तैयार है। अब इन परिस्थितियों में संभव है कि इस साल लोकसभा के साथ 10 विधानसभाओं के चुनाव और फिर 2020 में 10 राज्यों के और फिर 2023 में बाकी राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव हो जाएं. यह सब तक संभव है जब इस योजना पर कार्य आगे बढ़ाया जाए।

पीएम कर चुके हैं इस विचार पर चर्चा का आग्रह

उल्लेखनीय है, कि पीएम मोदी मीडिया से लेकर लोगों तक से इस विचार पर चर्चा का आग्रह कर चुके हैं। यह बात साफ है कि विपक्षी दल लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा के चुनावों को कराने के पक्ष में नहीं हैं। विपक्षी दलों को लगता है कि बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में एंटी इनकंबेंसी को धता बताने के लिए यह योजना बना रही है। इस बात पर बीजेपी के लोगों का कहना है कि विपक्ष अभी भी यह मान रहा है कि फिलहाल नरेंद्र मोदी की काट उनके पास नहीं है. यदि लोकसभा का चुनाव और विधानसभा के चुनाव साथ में होंगे तो लोग मोदी के पक्ष में मतदान करेंगे और विपक्ष को लाभ नहीं होगा।

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