Tahawwur Rana's Extradition: यूपीए के कठिन प्रयासों का नतीजा है 'तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण, मोदी सरकार न ले इसका श्रेय: पी चिदंबरम

Tahawwur Rana's Extradition: कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण यूपीए काल में किये गए प्रयासों का नतीजा है लेकिन मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने की होड़ में लगी है।;

Update:2025-04-10 18:04 IST

Tahawwur Rana's Extradition (Image Credit-Social Media)

Tahawwur Rana's Extradition: 26/11 हमले का मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा भारत आ गया है। उसका विमान पालम में लैंड हुआ है जिसे कई सालों के संघर्ष के बाद भारत लाया गया है। अमेरिका से उसका सफल प्रत्यर्पण आज हुआ है। ऐसे में कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने एक बयान जारी करते हुए इसका श्रेय कांग्रेस को दिया है। उनका कहना है कि मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने की होड़ में लगी है जबकि सच्चाई उनके दावों से काफी अलग है। यह प्रत्यर्पण डेढ़ दशक के कठिन परिश्रम और रणनैतिक कूटनीति का परिणाम है जिसकी शुरुआत, अगुवाई और निरंतरता यूपीए सरकार ने अमेरिका के साथ समन्वय द्वारा सुनिश्चित की थी।


तहव्वुर राणा का सफल प्रत्यर्पण यूपीए सरकार की सफलता?

पूर्व गृह मंत्री श्री पी चिदंबरम द्वारा जारी इस बयान में कई बातें कही गई है दरअसल 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा भारत लाया गया है। जो कई सालों के कठिन संघर्ष के बाद भारत आया है उसका अमेरिका से सफल प्रत्यर्पण हुआ है। लेकिन जहां एक तरफ मोदी सरकार इसे अपनी बड़ी कूटनीति जीत मान रही है वहीं कांग्रेस का कहना है कि यूपी सरकार के दौरान ही सभी जरूरी दस्तावेज दे दिए गए थे। इतना ही नहीं कांग्रेस ने गुरुवार को यह भी कहा कि मुंबई हमले से जुड़े आतंकवादी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया मोदी सरकार ने ना तो शुरू की थी और ना ही उसने कोई नई सफलता इसमें हासिल की है। बल्कि यह सब यूपीए के समय किए गए कूटनीतिक प्रयासों का ही परिणाम है।

इतना ही नहीं पी चिदंबरम ने इस बात पर जोर दिया है कि यह प्रत्यर्पण डेढ़ दशक की कठिन कानूनी प्रयासों का ही नतीजा है। दरअसल पूर्व गृह मंत्री ने सोशल मीडिया एक्स के जरिए एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने लिखा है, "मुझे खुशी है कि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को 10 अप्रैल 2025 को भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया। लेकिन पूरी कहानी बताना जरूरी है। जबकि मोदी सरकार इस घटनाक्रम का श्रेय लेने के लिए होड़ में लगी है पर सच्चाई उनके दावों से कोसों दूर है। यह प्रत्यारोपण डेढ़ दशक की कठिन परिश्रम और नैतिक कूटनीति का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में पहली बड़ी कार्यवाही 11 नवंबर 2009 को हुई जब एनआईए ने नई दिल्ली में डेविड कोलमैन, हेडली, तहव्वुर राणा और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। इस महीने कनाडा के विदेश मंत्री ने भारत के साथ खुफिया सहयोग की पुष्टि की जो कि यूपीए सरकार की कुशल विदेश नीति का सीधा परिणाम था। एफबीआई ने 2009 में राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया जब वह कोपेनहेगन में एक नाकाम आतंकी हमले की साजिश में लश्कर-ए -तैयबा की मदद कर रहा था। हालांकि जून 2011 में अमेरिकी अदालत ने उसे दो 26/11 हमले में सीधे शामिल होने के आरोप में बरी कर दिया था। लेकिन अन्य आतंकी साजिशों में दोषी होने की वजह से उसे 14 साल की सजा सुनाई गई। यूपीए सरकार ने इस निर्णय पर सार्वजनिक रूप से निराशा जताई और कूटनीतिक दबाव बनाए रखा।


वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा है कि,"उसे 16 साल बाद भारत वापस लाना एक बड़ी कूटनीतिक और ऐतिहासिक सफलता है यह भारत के लोगों के लिए बहुत संतोषजनक होगा कि उसे 16 साल बाद उसके अपराधों के लिए आखिरकार सजा मिलेगी। वह पाकिस्तान के बारे में और भी रहस्य उजागर कर सकता है और यह भी बता सकता है कि इस मामले में और मास्टरमाइंड कौन थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह हासिल कर लिया है और जो कांग्रेस यूपी सरकार करने में विफल रही।"

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