पीएम मोदी ने किया क्रेडिट चोरी, कांग्रेस ने लगा दिया आरोप,कहा, इस मामले में मोदी जी को कोई श्रेय नहीं जाता

Tahawwur Rana Extradition: दिग्विजय सिंह का कहना है कि मोस्ट वांटेड आतंकी का प्रत्यर्पण यूपीए सरकार की वजह से हो सका है और इसका क्रेडिट पीएम मोदी को नहीं मिलना चाहिये। उनकी सरकार ने ही राणा का नाम चार्जशीट में डाला नहीं जिसकी वजह से राणा का भारत आना संभव हो सका है।;

Update:2025-04-12 16:26 IST

दिग्विजय सिंह  (photo: social media ) 

Tahawwur Rana Extradition: 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वर राणा के भारत प्रत्यर्पित होने के बाद देश की दो मुख्य पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के श्रेय लेने की होड़ सी मच गई है। दोनों पार्टियां प्रत्यर्पण को अपनी सफलता बताते हुये कह रहीं कि उनकी सरकार के परिश्रम का नतीजा है कि 26/11 का साजिशकर्ता भारत की गिरफ्त में है। अब इस मामले को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कूद पड़े हैं। उनका कहना है कि मोस्ट वांटेड आतंकी का प्रत्यर्पण यूपीए सरकार की वजह से हो सका है और इसका क्रेडिट पीएम मोदी को नहीं मिलना चाहिये। उनकी सरकार ने ही राणा का नाम चार्जशीट में डाला नहीं जिसकी वजह से राणा का भारत आना संभव हो सका है।

18 दिन की NIA हिरासत में आतंकी राणा

तहव्वुर राणा को विशेष एनआईए अदालत में पेश किए जाने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हिरासत के दौरान, एनआईए और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी 26/11 की पहेली के गायब टुकड़ों को खोजने के लिए उससे पूछताछ करेंगे। हालांकि इससे पहले एफबीआई ने उससे पूछताछ की थी और लश्कर-ए-तैयबा की सहायता करने और मुंबई हमलों से उसके संबंधों के लिए अमेरिका में मुकदमा चलाया गया था, लेकिन भारतीय अधिकारियों को बहुत कुछ पता करना है। हमले की साजिश से संबंधित भारत के बारे में विशिष्ट विवरण जानने हैं।

2011 में एनआईए ने राणा, उसके सहयोगी और हमलों के जासूस डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी और सात अन्य लोगों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में आरोप-पत्र दाखिल किया था। उन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना), 18 (साजिश करना, करने का प्रयास करना या आतंकवादी कृत्यों की वकालत करना) और 20 (आतंकवादी समूह की सदस्यता) और आपराधिक साजिश के अलावा भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 121ए (121 के तहत अपराधों के लिए साजिश), 302 (हत्या), 468 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अब एक सप्लीमेंट्री आरोप-पत्र दाखिल किए जाने की उम्मीद है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएसएस) के तहत आरोपों को अपडेट किए जाने की संभावना है। इनमें से कई आरोपों में मौत की सज़ा का प्रावधान है।

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