India's Moon Mission 2040: भारतीय अंतरिक्ष यात्री का चंद्रमा पर उतरने का सपना होगा साकार
Indias Human Moon Mission 2040: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में 2040 तक भारत के पहले मानव को चांद पर भेजने की योजना की घोषणा की। आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में सभी डिटेल्स।;
Indias Human Moon Mission 2040 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
India's Moon Mission: एक समय था जब चांद केवल कविताओं और कल्पनाओं का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन अब वो दिन दूर नहीं जब एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री उस चंद्रमा की जमीन पर अपने कदम रखेगा। यह सिर्फ विज्ञान की जीत नहीं होगी, बल्कि हर उस भारतीय का गर्व होगा जिसने कभी आकाश की ओर देख कर सपने बुने थे। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने जब 2040 तक भारत के पहले मानव को चांद (Human Mission To Moon) पर भेजने की योजना की घोषणा की, तो मानो हर देशवासी के दिल में उम्मीदों का नया सूरज उग आया।
भारत का चंद्र मिशन 2040: लक्ष्य क्या है (India's Moon Mission 2040)
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) के अनुसार, भारत का लक्ष्य है कि 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजा जाए। यह मिशन सिर्फ एक प्रतीकात्मक कदम नहीं, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तकनीकी क्षमता, वैज्ञानिक सोच और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को और मजबूत करने वाला कदम होगा।
इस अंतरिक्ष यात्रा का मुख्य उद्देश्य (Main Objective of India's Chandra Mission 2040)
चंद्रमा की सतह पर मानव मिशन स्थापित करना। चंद्र सतह से नमूने इकट्ठा करना और शोध करना। दीर्घकालिक बेस स्टेशन की संभावनाओं का परीक्षण। गगनयान परियोजना के अनुभवों का विस्तार आदि।
अंतरिक्ष यात्री बनने की क्या होती है प्रक्रिया (What Is The Process To Become An Astronaut)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
भारत में अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रक्रिया बहुत कठोर, वैज्ञानिक और अनुशासनात्मक होती है। नीचे इस प्रक्रिया की मुख्य बातें दी गई हैं:-
1. शैक्षणिक योग्यता:
भौतिकी, गणित, इंजीनियरिंग या बायोलॉजी में स्नातक या उच्च डिग्री (B.Tech, M.Sc, MBBS आदि)।
संस्थान: IITs, IISC, AIIMS, या अन्य प्रमुख विज्ञान संस्थान।
वैकल्पिक मार्ग: भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट भी चुने जाते हैं।
2. ये होती है चयन प्रक्रिया
चयन ISRO और भारतीय वायुसेना द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। लिखित परीक्षा, साइकोलॉजिकल टेस्ट, मेडिकल टेस्ट और इंटरव्यू, चयनित अभ्यर्थियों को यूरी गागरिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (रूस) या ISRO के प्रशिक्षण केंद्र में भेजा जाता है।
3. ये होती हैं ट्रेनिंग
जी-फोर्स सहनशीलता। माइक्रोग्रैविटी प्रशिक्षण। अंतरिक्ष यान संचालन । साइकोलॉजिकल प्रशिक्षण। आपातकालीन स्थितियों का मुकाबला करने का अभ्यास।
क्या होती है अंतरिक्ष यात्री की सैलरी, भत्ते और परिवार को मिलने वाली सुविधाएं (Astronaut Salary, Allowances and Facilities To Their Family)
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1. अंतरिक्ष यात्री की सैलरी (वेतन) विवरण: भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सैलरी अलग-अलग चरणों के आधार पर तय की जाती है:
(क) प्रशिक्षण के दौरान:
स्थान: भारत में ISRO का स्पेस ट्रेनिंग सेंटर / रूस का गगारिन ट्रेनिंग सेंटर।
प्रारंभिक वेतन ₹1.5 लाख से ₹2 लाख प्रति माह। इसके साथ ही DA (Dearness Allowance)महंगाई भत्ता, HRA (House Rent Allowance) यदि आवास सुविधा न मिले तो।
ख) मिशन से पहले फाइनल चयन के बाद: वेतन रेंज:2.5 लाख से ₹3.5 लाख प्रति माह, इस स्तर पर प्रशिक्षण की तीव्रता और रिस्क बढ़ जाता है, जिससे स्पेशल अलाउंस भी जुड़ते हैं।
Risk Allowance: ₹25,000 से ₹50,000, Special Duty Allowance: मिशन की जटिलता के अनुसार, Hardship Allowance जब मिशन या प्रशिक्षण कठोर परिस्थितियों में हो (जैसे जी-फोर्स, अंडरवाटर ट्रेनिंग।
(ग) अंतरिक्ष मिशन के दौरान और उसके बाद: अंतरिक्ष यात्रा के समय, एकमुश्त बोनस/प्रोत्साहन राशि ₹25 लाख से ₹50 लाख तक, मिशन सफलता पर विशेष सम्मान और इनाम (जैसे राष्ट्रपति पुरस्कार, ISRO विशेष पुरस्कार), पोस्ट-मिशन ISRO/DRDO या रक्षा मंत्रालय में उच्च पदों पर नियुक्ति, अंतर्राष्ट्रीय व्याख्यान और शोध कार्य से आय।
2. परिवार को मिलने वाली सुविधाएं
ISRO और भारत सरकार, अंतरिक्ष यात्रियों के परिवार को अनेक सुविधाएं देती हैं जो कि न केवल आर्थिक सुरक्षा देती हैं बल्कि मानसिक और सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं।
(क) चिकित्सा और बीमा सुरक्षा: सम्पूर्ण परिवार के लिए मेडिकल इंश्योरेंस (10-50 लाख रुपये तक का कवर)।
Life Insurance –मिशन के दौरान मृत्यु की स्थिति में 1 से 5 करोड़ रुपये तक का कवरेज।
नियमित हेल्थ चेकअप और मेडिकल सपोर्ट आदि।
(ख) शिक्षा और आवास: बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय (KV) या प्राइवेट स्कूल में एडमिशन की प्राथमिकता।
शिक्षा सहायता भत्ता– फीस, किताबें, यूनिफॉर्म आदि के लिए, सरकारी आवास या HRA सुविधा, मिशन के समय परिवार को अलग से मेंटल हेल्थ काउंसलिंग सपोर्ट आदि।
(ग) सामाजिक और सरकारी मान्यता: अंतरिक्ष यात्री के परिवार को विशेष VIP ट्रीटमेंट, समाज में प्रतिष्ठा स्कूल, कॉलेज, सेमिनार में आमंत्रण, राष्ट्रीय त्योहारों और वैज्ञानिक आयोजनों में शामिल होने का अवसर आदि।
3. सेवाकालीन और सेवानिवृत्त लाभ:
(क) सेवाकाल के दौरान: Pension और Provident Fund, Leave Travel Concession (LTC) परिवार के साथ भारत भ्रमण, अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए विशेष पासपोर्ट/विशेषाधिकार आदि।
(ख) सेवानिवृत्ति के बाद: ISRO या DRDO में सलाहकार पद, यूनेस्को, संयुक्त राष्ट्र, NASA जैसी संस्थाओं में प्रतिनिधित्व, मीडिया, डॉक्युमेंट्री, किताबों से रॉयल्टी आदि सुविधाओं का लाभ मिलता है। एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री न केवल राष्ट्र के लिए गौरव होता है, बल्कि उसे और उसके परिवार को वित्तीय, सामाजिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था होती है। सरकार और ISRO की तरफ से मिलने वाली ये सुविधाएं न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि यह दर्शाती हैं कि अंतरिक्ष विज्ञान में कदम रखने वाला हर व्यक्ति राष्ट्र का रत्न माना जाता है।
भारत का 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने का सपना, विज्ञान की नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह मिशन न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हर उस युवा को प्रेरित करेगा जो कभी तारों को देख कर कुछ बड़ा बनने का सपना देखता है। इस सफर में केवल एक अंतरिक्ष यात्री चांद पर कदम नहीं रखेगा, बल्कि पूरे भारत का आत्मविश्वास वहां की धूल में अंकित हो जाएगा।
भारत से अब तक कितने अंतरिक्ष यात्री निकले हैं (How Many Astronauts From India Have Gone To Space)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
अब तक भारत से केवल एक अंतरिक्ष यात्री ने वास्तव में अंतरिक्ष में यात्रा की है जिनका नाम है राकेश शर्मा। जिन्होंने मिशन: सोयूज़ T-11 के तहत तारीख: 2 अप्रैल 1984 में सोवियत संघ के साथ संयुक्त मिशन में भागीदारी की थी।
ये अवधि: 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट की थी। इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान जब तत्कालीन देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से पूछा ‘भारत अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?’ तो उन्होंने जवाब दिया, ‘सारे जहां से अच्छा’
अन्य नाम जो चयनित हुए लेकिन अंतरिक्ष नहीं जा सके
रेवथी और नरायणन जैसे वैज्ञानिक ISRO में मुख्य मानव मिशन (गगनयान) टीम का हिस्सा हैं। गगनयान मिशन के लिए भारतीय वायुसेना से चुने गए चार टेस्ट पायलटों को रूस में अंतरिक्ष प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था। ये चारों वायुसेना के अत्यधिक अनुभवी और योग्य पायलट हैं। हालांकि, ISRO और रक्षा मंत्रालय ने इन चारों के नामों को आधिकारिक रूप से गोपनीय रखा है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और विभिन्न विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार इनमें से एक पायलट का नाम सार्वजनिक हुआ है:
1. विंग कमांडर पृथ्वी राज चौहान
ये भारतीय वायुसेना के अनुभवी टेस्ट पायलट हैं। गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रमुख नामों में से एक।इन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC), मॉस्को में प्रशिक्षण लिया है। बाकी तीन पायलट सभी भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन रैंक या उससे ऊपर के अनुभवी टेस्ट पायलट हैं।
इनका चयन बायोमेडिकल फिटनेस, मानसिक स्थिरता और सख्त उड़ान परीक्षणों के आधार पर किया गया।सुरक्षा कारणों से उनके नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं लेकिन 2025-26 में ‘गगनयान’ मिशन के साथ 3-4 भारतीय अंतरिक्ष यात्री पहली बार स्वदेशी रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
2. वर्तमान में युवा पीढ़ी का रुझान और अवसर
रुझान में बढ़ोत्तरी: ISRO की सफलता (चंद्रयान-3, आदित्य-L1) के बाद युवा वर्ग में भारी रुचि।हर साल 10 लाख से अधिक छात्र GATE और UPSC जैसी परीक्षाओं के ज़रिए इस फील्ड में आने का प्रयास करते हैं। इंजीनियरिंग, फिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी और रोबोटिक्स में दाखिलों में बढ़ोतरी। YouTube, Science Blogs और Social Media पर भी ‘Space Careers’ से जुड़े कंटेंट की मांग बढ़ी है।
नौकरी के अवसर:
(क) सरकारी संस्थानों में: ISRO, DRDO, HAL, BHEL, BARC, नौसेना/वायुसेना।
पोस्ट: वैज्ञानिक, इंजीनियर, मिशन स्पेशलिस्ट, फ्लाइट डायरेक्टर, ग्राउंड कंट्रोल, रोबोटिक्स एक्सपर्ट।
(ख) प्राइवेट सेक्टर में: Skyroot Aerospace, Agnikul Cosmos, Pixxel, Bellatrix Aerospace।
नौकरियां: सैटेलाइट इंजीनियर, डाटा एनालिस्ट, थर्मल इंजीनियर, रॉकेट डिजाइनर आदि।
(ग) ग्लोबल स्कोप: NASA, ESA (यूरोपीय स्पेस एजेंसी), SpaceX, Blue Origin में भी भारतीयों की मांग। MIT, Caltech, Stanford जैसे संस्थानों में भारतीय छात्रों की स्कॉलरशिप और PhD स्कोप बढ़ा है। भारत से अब तक केवल एक अंतरिक्ष यात्री ने उड़ान भरी है, लेकिन गगनयान मिशन और चंद्र अभियान की सफलता के बाद अब यह संख्या जल्द ही बढ़ने वाली है। युवा पीढ़ी इस फील्ड में पहले से कहीं अधिक रुचि ले रही है और भारत अब अंतरिक्ष विज्ञान में ‘जॉब क्रिएटर’ के रूप में उभर रहा है।
कैसे बने एक अंतरिक्ष यात्री या स्पेस साइंटिस्ट?
कक्षा 10वीं के बाद: पढ़ाई की नींव मजबूत करें
विषय चुनें: PCM (Physics, Chemistry, Maths)
बोर्ड एग्ज़ाम में अच्छे अंक लाएं (85% से ऊपर)
स्कूली स्तर पर ओलंपियाड (NSE, NTSE, IOAA) जैसी स्टूडेंट फ्रेंडली करियर पाथ तैयार करने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा लें, जहां कोई युवा कैसे अंतरिक्ष यात्री या स्पेस साइंटिस्ट बनने के लिए कदम बढ़ा सकता है इस बात की जानकारी हासिल करें।
कक्षा 12वीं के बाद: उच्च शिक्षा की ओर पहला कदम इंजीनियरिंग एंट्रेंस (JEE Main/Advanced) की तैयारी करें।
टॉप रैंक लाकर IITs, NITs या IIST (Indian Institute of Space Science and Technology) में दाख़िला लें।
ये हैं संबंधित कोर्स विकल्प:
Aerospace, Mechanical, Electronics, Computer Science, Physics
स्नातक के दौरान: अनुभव और exposure*
ISRO/DRDO/NASA जैसे संस्थानों में इंटरर्नशिप करें। प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लें (जैसे क्यूबसैट बनाना, सॉफ्टवेयर सिमुलेशन)।टेक फेस्ट्स, हैकाथॉन और अनुसंधान पेपर लिखें।
स्नातक के बाद विकल्प
(1) वैज्ञानिक या इंजीनियर: GATE क्वालिफाई करें। ISRO/DRDO में Scientist 'B' के पद पर नियुक्ति। Master’s/PhD के लिए IISC, IITs या विदेशी संस्थानों में जाएं।
(2) पायलट से अंतरिक्ष यात्री: NDA या CDS से भारतीय वायुसेना में चयन। टेस्ट पायलट ट्रेनिंग लें। ISRO के गगनयान मिशन के लिए चयन के योग्य बने।
(3) अंतरराष्ट्रीय विकल्प: TOEFL/IELTS और GRE क्लियर कर MIT, Caltech, NASA से जुड़ाव। स्पेस रिसर्च में अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन/नेटवर्किंग करें। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए ज़रूरी है स्वस्थ्य और मेंटल फिटनेस पर ध्यान दें। बेहतरीन फिजिकल फिटनेस-6/6 विज़न। साइकोलॉजिकल स्टेबिलिटी। तैराकी, स्पेशल ट्रेनिंग में दक्षता।आवश्यक सॉफ्ट स्किल्स: लीडरशिप और टीमवर्क। प्रेशर में निर्णय लेने की क्षमता। तकनीकी भाषा और अंग्रेज़ी में दक्षता आदि खूबियों का होना आवश्यक है।
आज का छात्र कल का अंतरिक्ष यात्री हो सकता है। ज़रूरत है सही दिशा में मेहनत की, टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल की और हर स्तर पर खुद को तैयार रखने की। भारत में अब ISRO से लेकर प्राइवेट स्पेस कंपनियों तक मौके ही मौके हैं।