नई दिल्ली: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता को लेकर गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। इस मुलाकात में पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से एनएसजी में भारत की सदस्यता का मुद्दा उठाया। हालांकि इस प्रतिष्ठित समूह में भारत की सदस्यता को लेकर चीन का विरोधी रुख बरकरार दिखा।
सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, चीन को छोड़ दें तो परमाणु तकनीक पर पहुंच को नियंत्रित करने वाले इस प्रतिष्ठित समूह के अन्य सदस्य देशों ने भारत को शामिल किए जाने पर सहमति जताई है।
हालांकि कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, सियोल में जारी एनएसजी की बैठक में चीन ने तो भारत को एनएसजी में शामिल किए जाने का विरोध किया ही, वहीं ब्राजील, तुर्की, आयरलैंड, ऑस्ट्रिया और न्यूजीलैंड भी इस मुद्दे पर चीन के साथ खड़े दिखे। एंट्री का विरोध करते हुए कहा गया कि यह गैर-एनपीटी देश है। हालांकि, मेक्सिको ने भारत का समर्थन किया है।
वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने एससीओ सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। उन्होंने जिनपिंग से कहा कि एनएसजी मेंबरशिप को लेकर भारत को किसी तरह की छूट मिलती है तो इससे साउथ एशिया में सामरिक स्थिरता को नुकसान होगा।
पीएम मोदी ने मुलाकात के दौरान शी जिनपिंग से कहा कि चीन को भारत के मामले पर एनएसजी सदस्यों में बन रही सहमति से जुड़ना और योगदान देना चाहिए पीएम मोदी ने साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से आग्रह किया कि चीन को एनएसजी सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का निष्पक्ष एवं तटस्थ आकलन करना चाहिए।
— PMO India (@PMOIndia) June 23, 2016
पीएम मोदी का हुआ स्वागत
-पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सालाना शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दो दिन की यात्रा पर गुरुवार को ताशकंद पहुंचे हैं।
-जहां उनका गरमजोशी से स्वागत किया गया।
-उज्बेकिस्तान पहुंचने पर पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
-उज्बेकिस्तान के पीएम शौकत मीरोमोनोविच मिरजियोएव खुद पीएम नरेंद्र मोदी की आगवानी के लिए ताशकंद एयर पोर्ट पहुंचे।
भारत-पाक को एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बनाया जाएगा
-ताशकंद में इस बार की बैठक में भारत और पाकिस्तान को औपचारिक रूप से शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन का पूर्णकालिक सदस्य बनाया जाएगा।
-एससीओ में चीन के अलावा रूस भी हैं।
क्या है एनएसजी ?
-एनएसजी न्यूक्लियर सप्लायर देशों का एक ग्रुप है।
-इसकी स्थापना साल 1974 में हुई थी।
-एनएसजी में अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन समेत 48 सदस्य हैं।
-एनएसजी का मकसद परमाणु हथियार के प्रसार को रोकना है।
-इसके अलावा शांतिपूर्ण काम के लिए ही परमाणु सामग्री और तकनीक की सप्लाई की जाती है।
-न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप आम सहमति से काम करता है।
-सबसे अहम बात एनएसजी सदस्य के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर जरूरी है।
-आपको बता दें भारत ने अब तक एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
क्या है एससीओ ?
-शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्थापना साल 2001 में हुई थी।
-उस वक्त इसमें चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे।
-ये पहली बार है जब एससीओ में नए मेंबर्स को इनवाइट किया गया है।
-इसमें भारत और पाकिस्तान को मेंबर बनाया गया है, जबकि अफगानिस्तान, ईरान और मंगोलिया ऑब्जर्वर का दर्जा दिया गया है।
-भारत-पाकिस्तान को पिछले साल जुलाई में ही एससीओ में मेंबरशिप को मंजूरी दे दी गई थी।
-एससीओ की मेंबरशिप मिलने के बाद भारत को एनर्जी सेक्टर में काफी सपोर्ट मिलेगा।
भारत को होंगे यह फायदे
-न्युक्लियर एनर्जी से जुड़ी हर तकनीक और युरेनियम भारत बिना किसी समझौते के सदस्य देशों से हासिल कर सकेगा।
-सदस्य बनने के बाद भारत का एशिया महाद्वीप में और ऊपर उठेगा, इसके साथ ही भारत की अंतरराष्ट्रीय साख भी बढ़ेगी।
-ऊर्जा की मांग पूरी करने के लिए भारत को ज्यादा से ज्यादा परमाणु ऊर्जा बनाना होगा, एनएसजी का सदस्य बनने से भारत को इसमें मदद मिलेगी।
-न्युक्लियर प्लांट्स निकलने वाले कचरे के निपटारे के लिए सदस्य देशों की मदद मिलेगी।
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