अखिलेश को बता दिया '2027 में भी यूपी में आएगी भाजपा', सच में समाप्तवाद शुरू!

UP Politics: कांग्रेस की राजनीति पर कहा गांधी जी की खादी को तिलांजलि देकर 'टी-शर्ट' पर आ गई।;

Update:2025-04-15 13:16 IST

UP Politics: उत्तर प्रदेश में 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की रणनीति में लगी है तो वहीं समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने के लिए पुर-जोर लगाए है। ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव को बता दिया कि अब 2027 में समाजवादी पार्टी समाप्तवाद की ओर है। 2027 में भाजपा ही चुनाव जीतेगी। 

यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का अखिलेश यादव पर बड़ा हमला – कहा 2027 में सपा की सफाई तय, 2017 की तरह फिर बीजेपी सरकार बनेगी। केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर तीखा राजनीतिक हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 2027 में सपा की हार तय है, जिसे देखकर अखिलेश यादव पूरी तरह बौखला चुके हैं। मौर्य ने कहा कि "समाज को बांटने और सामाजिक ताना-बाना तोड़ने वाले गैरजिम्मेदार बयान दे रहे हैं, लेकिन उनकी नीति से सपा को फायदा कम, नुकसान ज़्यादा होगा।" उन्होंने दावा किया कि "सबका साथ, सबका विकास" के मंत्र पर बीजेपी लगातार काम करती रहेगी और बाबा साहेब अंबेडकर जयंती पर मिले जनसमर्थन ने सपा को बेचैन कर दिया है। मौर्य ने सपा के PDA (पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को भी फर्जी बताते हुए कहा कि "सपा सिर्फ परिवार और गुंडों का विकास चाहती है, न कि गरीबों, पिछड़ों और दलितों का।" अंत में मौर्य ने दोहराया  "भाजपा ही वर्तमान, भाजपा ही भविष्य। 2027 में 2017 दोहरायेंगे। तीसरी बार, यूपी में, भाजपा सरकार।"


गांधी जी की खादी को तिलांजलि देकर 'टी-शर्ट'

राजनीति का इतिहास 'गवाह' है कि दशकों तक मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते-करते कांग्रेस खुद 'पंक्चर' हो गई है। इस कड़वी सच्चाई के बावजूद वह अभी भी ज़मीनी हक़ीक़त से कोसों दूर है। सच यह भी है कि क्षेत्रीय दलों की बैसाखियों पर घिसटने के अलावा उसके सामने कोई दूसरा रास्ता ही नहीं है। इन सबके बावजूद अकड़ उसकी ऐसी मानो देश का भार उसी पर हो। विपक्ष में होने के बावजूद उसका व्यवहार सत्ता पक्ष जैसा है। लोकतंत्र के बजाय गांधी परिवार की छाया में 'राजशाही' में यकीन करने वाली कांग्रेस को संविधान की कभी फ़िक्र नहीं रही है। उसके इतिहास में बस एक फर्क यह आया है कि अब वह गांधी जी की खादी को तिलांजलि देकर 'टी-शर्ट' पर आ गई है। इसका प्रभाव भी जनता पर बेअसर है क्योंकि पांच दफ़ा सांसद बनने के बाद भी श्री राहुल गांधी का मतलब ही नामुमकिन है। दूसरी तरफ़ यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का मतलब ही मुमकिन है। उनके नेतृत्व में भाजपा देश की पिक्चर बदल रही है, जबकि कांग्रेस केवल मुस्लिम समाज को पंक्चर वाला ही देखना चाहती है।


मुख्यमंत्री के वादे क्या सपा के लिए पड़ सकते हैं भारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प जताया। उन्होंने दावा किया कि 2029 तक उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए कृषि, महिला सशक्तिकरण और पर्यटन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में नई योजनाएँ लागू की जा रही हैं।

इधर, 2025 में होने वाली जनगणना और उसके बाद संभावित परिसीमन के चलते प्रदेश की विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे एक बार फिर राज्य के विभाजन की मांग को बल मिल सकता है। खासकर बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की चर्चाएँ फिर से जोर पकड़ सकती हैं, जिससे प्रदेश की राजनीतिक संरचना में बड़ा परिवर्तन संभव है।

भाजपा ने निकाला PDA का काट

वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा अपनाए गए PDA (पार्टी, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले ने भारतीय जनता पार्टी को झटका दिया, खासकर उसके ओबीसी और दलित वोट बैंक में। इस सियासी समीकरण को भांपते हुए भाजपा ने 2027 की तैयारी के तहत अपने अभियान में बदलाव किया है और ओबीसी व दलित समुदाय के बीच पैठ मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ाई है।

2025 में प्रदेश की राजनीति में कई घटनाक्रम हुए हैं, जो आगामी चुनाव की दिशा तय करेंगे। सभी प्रमुख दल न सिर्फ रणनीति में बदलाव कर रहे हैं, बल्कि विकास के नए एजेंडे को भी आगे रख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सीटों में संभावित बढ़ोतरी और नई सियासी चालें उत्तर प्रदेश की भविष्य की राजनीति को गहराई से प्रभावित करेंगी।

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