नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन सात रोहिंग्याओं के निर्वासन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिन्हें आज (गुरुवार ) ही म्यांमार भेजा जा रहा है। ये 2012 में भारत आए थे और असम के सिलचर में एक शिविर में रह रहे थे।
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प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने प्रशांत भूषण की याचिका खारजि कर दी क्योंकि केंद्र ने सूचित किया है कि म्यांमार ने इन रोहिंग्याओं को अपने नागरिकों के रूप में स्वीकार कर लिया है।
याचिकाकर्ता मोहम्मद सलीमुल्लाह की पैरवी करते हुए भूषण ने पीठ को बताया कि उसे 'यूएन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजीस' (यूएनएचएसआर) से शरणार्थियों की इच्छा जानने के लिए उनका साक्षात्कार लेने के लिए कहना चाहिए, ताकि पता चल सके कि वे वापस जाना चाहते हैं या नहीं।
भूषण के यह कहने पर कि रोहिंग्या लोगों की जीवन की सुरक्षा करना शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी है, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आपको हमें हमारी जिम्मेदारी याद दिलाने की जरूरत नहीं है, हम अपनी जिम्मेदारी जानते हैं।" रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत का एक अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है।
--आईएएनएस