त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति गंभीर 50 हजार लोग राहत शिविरों, सीएम मांगी सेना की मदद
नई दिल्ली: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब ने गुरुवार को बाढ़ प्रभावित अपने राज्य में बचाव अभियान के लिए सेना की मदद मांगी।
50 हजार हुए बेघर
राज्य में तीसरे दिन भी लगातार बारिश जारी रही जिससे बाढ़ व भूस्खलन की स्थिति पैदा हुई। इससे करीब 50,000 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा और चार लोगों की मौत हो गई है। देब ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को गुरुवार की सुबह टेलीफोन पर हालात की जानकारी दी और त्रिपुरा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया।
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गृह मंत्रालय से मांगी मदद
मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री से त्रिपुरा में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल कर्मियों की संख्या में 'तुरंत' वृद्धि करने का भी आग्रह किया। देब ने ट्वीट किया, "त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति व चल रहे राहत कार्य के बारे में राजनाथ सिंह जी को अवगत कराया। कुछ जोखिम वाली जगहों पर बचाव अभियान के लिए सेना की मदद का आग्रह किया। गृह मंत्रालय ने केंद्र सरकार से सभी जरूरी मदद का भरोसा दिया है।"
200 राहत शिविर बने
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार ने भरोसा दिया है कि वह त्रिपुरा को बाढ़ के हालात से निपटने के लिए सभी जरूरी मदद देगा। इस बयान में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से जरूरी कार्रवाई करने को कहा गया है। इस बीच त्रिपुरा आपदा प्रबंधन नियंत्रण केंद्र के एक अधिकारी ने कहा कि 10,000 से ज्यादा परिवारों के करीब 50,000 लोगों ने राज्य के विभिन्न भागों ज्यादातर उत्तरी त्रिपुरा के 200 राहत शिविरों में शरण ली है।
चार की हो चुकी है मौत
अधिकारी ने कहा, "दो उम्रदराज पुरुषों व एक किशोरी सहित करीब चार लोगों की त्रिपुरा में मंगलवार से भूस्खलन, पेड़ गिरने या नदियों में मछली पकड़ने में मौत हो गई है।" लगातार बारिश से त्रिपुरा के उनकाकोटी, घलाई, खोवाई व गोमती जिलों में बाढ़ की स्थिति बन गई है।
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आपदा प्रबंधन सक्रिय
उन्होंने कहा, "हमने एक पवन हंस हेलीकॉप्टर तैयार रखा है और वायु सेना से दो हेलीकॉप्टर प्रदान करने की मांग की ताकि अगर जरूरत पड़े तो प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।" आपदा प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि उत्तरी त्रिपुरा के उनोकोटी जिले में मनु नदी के तीन तटबंधों के टूट जाने के बाद स्थिति बिगड़ गई है। त्रिपुरा में बहुत सी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। निचले इलाकों के अलावा बाढ़ में कई गांव, घर, धान के खेत डूबे हुए हैं।