मुंबई बम ब्लास्ट: अबू सलेम की सजा पर सरायमीर में खामोशी
डरवर्ल्ड माफिया डॉन अबू सलेम को उम्रकैद और शिवराजपुर के रियाज सिद्दकी को 10 साल की सुनाई गई है। सुबह से ही लोगों की नजर कोर्ट पर थी, जैसे ही फैसलै आया सलेम से लेकर रियाज के गांव तक सन्नाटा छा गया।
आजमगढ़ : अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन अबू सलेम को उम्रकैद और शिवराजपुर के रियाज सिद्दकी को 10 साल की सुनाई गई है। सुबह से ही लोगों की नजर कोर्ट पर थी, जैसे ही फैसलै आया सलेम से लेकर रियाज के गांव तक सन्नाटा छा गया।
अबू सलेम के पैतृक कस्बे सरायमीर में दुकानें तो रोज की तरह खुली हुई हैं, लेकिन सभी के होठ सिले हुए हैं। सलेम की सजा पर कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।
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सायरन बजाती पुलिस की गाड़ियां सड़क पर दौड़ रही है और हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। सलेम की पुश्तैनी कोठी पर ताला लटका हुआ है। यही हाल रियाज सिद्दीकी के गांव शिवराजपुर का भी है।
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गांव में पसरा सन्नाटा
सरायमीर कस्बे के पठानटोला मुहल्ले का रहने वाला सलेम अपराध की दुनियां में जाने के बाद काफी बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया। पठानटोला मुहल्ले की उसकी आलीशान कोठी उसके रईशी की दास्तां कहती प्रतीत होती है। इस कोठी में केवल सलेम के सबसे बड़े भाई अबू हाकिम उर्फ चुनचुन अपने परिवार के साथ रहते हैं। मुंबई सीरियल ब्लास्ट में सलेम को सजा के लिए मुकर्रर तिथि को देखते हुए वह एक दिन पहले ही घर पर ताला जड़कर सपरिवार कहीं चले गए। इसके साथ ही सरायमीर कस्बे के हर व्यक्ति के होठ मानो सिले हुए हैं। कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है।
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मुम्बई सीरियल ब्लास्ट में ही आजमगढ़ जिले के गंभीरपुर थाना क्षेत्र के शिवराजपुर गांव निवासी रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है। उसके गांव में तो पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव का कोई भी व्यक्ति रियाज के बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। सभी ने एक ही बात कहा कि कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है वह काफी सोच-समझकर सुनाया होगा।
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दुनिया के लिए अपराधी, गांव के लिए मसीहा
फिलहाल दुकानें रोज की तरह ही खुली हुई मिली। पुलिस की गाड़ियां सरायमीर कस्बे में लगातार चक्रमण कर रही है। इसके साथ ही पूरे कस्बे में पुलिस के जवान जगह-जगह तैनात हैं। वह हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। सरायमीर कस्बा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अबू बशर ने कहा कि सलेम की जो भी गतिविधियां रही वह बाहर ही रही हैं। यहां पर उसका कोई आपराधिक कार्य नहीं रहा। वह लोग तो उसको आज भी अच्छा ही मानते हैं। यदि वह अच्छा आदमी नहीं रहता तो जब उसका सगा भाई एजाज उसके नाम पर यहां के लोगों से गुंडा टैक्स की वसूली कर रहा था तो सलेम अपने आदमियों को भेजकर अपने भाई को जमकर नहीं पिटवाता।
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बशर का यह भी कहना है कि सलेम जेल से छूटने के बाद गरीबों के लिए बहुत बड़ा अस्पताल बनवाना चाहता है। अल्लाह करे वह अपनी सजा पूरी करके जल्द से जल्द बाहर आए ताकि गरीबों के लिए उसने जो सोच रखा है उसे कर सके।