संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तरी कोरिया पर उसके द्वारा निरंतर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) परीक्षण करने और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के उल्लंघन पर उसके खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने का एक प्रस्ताव पारित किया है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने सुरक्षा परिषद की बैठक में शनिवार को कहा, "सोमवार (31 जुलाई) को हमने कहा था कि बात करने का समय खत्म हो चुका है और अब कार्रवाई करने का समय है। अब आप कार्रवाई देखने जा रहे हैं।"
यह कदम उत्तर कोरिया द्वारा जुलाई में किए गए दो आईसीबीएम परीक्षणों के खिलाफ उठाया गया है।
'सीएनएन' की रिपोर्ट के मुताबिक हैली ने कहा, "यह तीखा असर करने वाला होगा लेकिन यह उत्तर कोरिया को कड़ा संदेश देगा कि उसे अपने सभी आईसीबीएम और गैर-जिम्मेदार परमाणु गतिविधियों को रोकना होगा।"
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संयुक्त राष्ट्र में शनिवार को इस प्रस्ताव के पक्ष में 15 वोट पड़े और प्रस्ताव संख्या 2371 सर्वसम्मति से पारित हो गया।
यह प्रस्ताव उत्तर कोरिया पर कोयला, लौह, कच्चा लोहा, सीसा, और सी फूड के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है। इसके साथ ही यह प्रस्ताव विदेशों में काम करने वाले उत्तर कोरिया के श्रमिकों की संख्या को बढ़ाने, नए संयुक्त उद्यमों के साथ काम करने और वर्तमान संयुक्त उपक्रमों में नए निवेश पर प्रतिबंध लगाता है।
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हैली के कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, इन प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया को अपने वार्षिक निर्यात राजस्व 3 अरब डॉलर में से लगभग एक तिहाई से अधिक का नुकसान होगा।
उत्तर कोरिया ने जुलाई में दो आईसीबीएम का परीक्षण कर दावा किया था और कहा था कि उसके पास अब अमेरिका पर हमला करने की क्षमता है।
हेली ने प्रस्ताव पर सर्वसम्मति जताने की प्रशंसा करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 'एक आवाज में बात की है'।
अमेरिका की संयुक्त राष्ट्र राजदूत ने मतदान के बाद 'सीएनएन' से कहा, "चीन का हमारे साथ खड़ा होना, जापान और (दक्षिण कोरिया) और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ, इससे उत्तर कोरिया के लिए यह साफ संदेश है कि उसे यह करना होगा। यह काफी प्रभावी है।"
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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के राजदूत लियु जिएई ने कहा कि यह प्रस्ताव दर्शाता है कि विश्व कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने के अपने संकल्प को लेकर एकजुट है।
यह प्रतिबंध 2006 में परमाणु परीक्षण करने के बाद से उत्तर कोरिया पर लगाया गया संयुक्त राष्ट्र का सातवां प्रतिबंध है।